Dhakad Exclusive:मदरसों में छात्रों को सिर्फ धार्मिक शिक्षा क्यों,एक हाथ में कुरान दूसरे मे लैपटॉप क्यों नहीं?

Religious Education to Students in Madrasas: NCPCR की रिपोर्ट में मदरसों में दी जाने वाली शिक्षा को गैर वैज्ञानिक अंधविश्वासी और छात्रों का जीवन बरबाद करने वाला बताया है।

Madrasas Study
NCPCR और दारुल उलूम के बीच चल रही जंग पर एक धाकड़ EXCLUSIVE रिपोर्ट 

NCPCR यानी राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग चिंता में है चिंता इस बात की है कि मुस्लिम छात्रों का भविष्य खतरे में है, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग यानी NCPCR की दलील ये है कि मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों को आधुनिक शिक्षा नहीं मिल रही है, उन्हें अंधविश्वास की शिक्षा दी जा रही है, मुस्लिम छात्रों को वैज्ञानिक शिक्षा से दूर रखा जा रहा है, दारुल उलूम देवबंद को NCPCR की चिंता बेवजह लगी उनका कहना है कि मदरसों में धार्मिक शिक्षा के साथ साथ आधुनिक शिक्षा भी दी जा रही है...

यूं तो देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने पहले शासनकाल में मुस्लिम युवाओं के लिए एक शिक्षा नीति जारी की थी जिसका नाम है नई मंजिल योजना जिसे 8 अगस्त 2015 को लांच किया गया था, प्रधानमंत्री मोदी खुद मदरसों में आधुनिक शिक्षा के पक्षधर हैं उन्होंने अपने एक भाषण में कहा था कि 'मुस्लिम छात्रों के एक हाथ में कुरान और दूसरे में मैं लैपटॉप देखना चाहता हूं...

देश में दो प्रकार के मदरसे हैं

पहला मदरसा दरसे निजामी-मदरसा दरसे निजामी में धर्म आधारित शिक्षा दी जाती है इस प्रकार के मदरसों में राज्य की स्कूली शिक्षा के पाठ्यक्रम को लागू करने की कोई बाध्यता नहीं है, इन मदरसों में शिक्षा का माध्यम अरबी, उर्दू और फारसी है।  दूसरा है- मदरसा दरसे आलिया-ये मदरसे राज्यों के मदरसा शिक्षा बोर्ड से जुड़े होते हैं, इनमें राज्य की स्कूली शिक्षा के पाठ्यक्रम के आधार पर पढ़ाई कराई जाती है, इन मदरसों को राज्य सरकारों से अनुदान भी दिया जाता है, मदरसों की पढ़ाई पर NCPCR और दारुल उलूम के बीच चल रही जंग पर एक धाकड़ EXCLUSIVE रिपोर्ट आपको दिखाते हैं...

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