राजस्थान में भी जुबानी चक्रवात, बदलने लगा राजनैतिक मौसम, गहलोत के पश्चिमी विक्षोभ में उलझे फिर से पायलट

जयपुर समाचार
भंवर पुष्पेंद्र
Updated Jun 27, 2022 | 18:41 IST

राजस्थान में एक तरफ उमस है तो दूसरी तरफ सियासत का पारा भी कम होने का नाम नहीं ले रहा है। मॉनसून के आने से पहले अशोक गहलोत की पायलट गर्जना के बाद बयानों की प्री मॉनसून बारिश जारी है। मानसून आने से पहले सियासत का मौसम गड़बड़ाने का अंदेशा जताया जा रहा है।

Cyclone in Rajasthan too, political weather started changing, pilots again entangled in Gehlot's western disturbances
महाराष्ट्र के बाद अब राजस्थान की राजनीतिक में भी भूचाल? 

महाराष्ट्र के बाद अब राजस्थान की राजनीति में भी भूचाल आने के संकेत मिलने लगे हैं। इशारों ही इशारों में बात आगे बढ़ रही है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जब से सचिन पायलट को केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के साथ मिलकर गुटबाजी करने की बात कही है ,तब से उनके समर्थित मंत्री भी बयानों की बारिश करने लगे हैं। मानसून आने से पहले सियासत का मौसम गड़बड़ाने का अंदेशा जताया जा रहा है।

राजस्थान में एक तरफ उमस है तो दूसरी तरफ सियासत का पारा भी कम होने का नाम नहीं ले रहा है। मॉनसून के आने से पहले अशोक गहलोत की पायलट गर्जना के बाद बयानों की प्री मॉनसून बारिश जारी है। राजस्थान की राजनीति के मौसम में हमेशा पायलट का राजनैतिक यान गहलोत के पश्चिमी-विक्षोभ के आगे डगमगाता रहा है। नाकारा, निकम्मा जैसी शब्दों की बिजली पायलट पर बरसा चुके गहलोत फिर से पायलट को ज़ुबानी चक्रवात तले फंसाने की फिराक में हैं।

बहरहाल मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की यह जुबानी गर्जना गजेंद्र सिंह शेखावत के बयानी बवंडर का नतीजा है जो चोमू में एक कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह ने गहलोत सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था कि पायलट से चूक हुई है, नहीं तो राजस्थान में भी मध्यप्रदेश जैसे हालात होते।

शेखावत की इसी बयान ने राजनीति के मौसम को इतना प्रभावित किया कि गहलोत भी खामोश नहीं रह पाए गहलोत के बयान के बाद मंत्री भी उसी बायर में बहे। कैबिनेट मंत्री शांति धारीवाल ने तो यह तक कह डाला कि न सिर्फ सचिन पायलट ने गजेंद्र सिंह शेखावत के साथ मिलकर प्रयास किया बल्कि हमने तो वह देखा भी कि किस तरह सरकार गिराने की साजिश रची गई।

सचिन पायलट के मुख्यमंत्री बनने की मौसमी भविष्यवाणियां करने वाले कांग्रेस के केंद्रीय नेता प्रमोद कृष्णन ने एक बार फिर बारिश से पहले बारिश के बाद की भविष्यवाणी की है। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा है कि सचिन पायलट ने नीलकंठ की तरह विश किया है, जिसका फल सावन में मिलेगा। 

बयानों का चक्रवात घूमने लगा है लिहाजा उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने निशाना साधते हुए गहलोत और उनकी सरकार को आड़े हाथ लिया और कहा कि मैं पायलट के धैर्य का सम्मान करता हूं कि इतना कुछ कहने के बाद भी वह चुप बैठे रहे मुख्यमंत्री ने उन्हें नाकारा और निकम्मा भी कहा। राठौड़ ने यह कहते हुए इस मुद्दे को और हवा दे दी कि राहुल गांधी ने जब से सचिन पायलट को बड़ा नेता कहते हुए प्रशंसा की है तब से अशोक गहलोत परेशान हैं। राठौड़ ने कहा की अगर सचिन पायलट में सरकार पर बिजली गिराने का प्रयास किया तो फिर गहलोत उनके खिलाफ कार्यवाही करने से क्यों डरते हैं? वही नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने भी पायलट और गहलोत संबंधों को लेकर सरकार पर जमकर तंज कसे हैं। 

पूरे मामले को लेकर सचिन पायलट ने कहा कि 2013 में जिस हालत में हम हारे थे वह किसी से छुपा नहीं है। हमने खूब रगड़ाई करने के बाद वह जीत हासिल की थी। कौन मेरे बारे में क्या कह रहा है मुझे उससे कोई लेना देना नहीं है ,बल्कि आने वाले चुनाव में हमें कैसे जीतना है मैं उस पर फोकस करता हूं। कुछ दिन पहले दिल्ली में राहुल गांधी ने मेरे धैर्य के लिए तारीफ कर दी थी इससे किसी को परेशान नहीं होने चाहिए। यह सच है कि अशोक गहलोत ने पहले भी मेरे लिए नाकारा, निकम्मा शब्द इस्तेमाल किया था लेकिन वह हमारी पार्टी के बुजुर्ग और अनुभवी हैं, पिता तुल्य हैं, इसलिए उनका कुछ भी कहना ,उसे मैं गलत नहीं लेता हूं।

बहरहाल पूरे मामले को लेकर चुनावी मौसम में बयानों के चक्रवात जारी है ,लेकिन देखना यह होगा कि क्या यह बवंडर थमता है या फिर महाराष्ट्र की तरह राजस्थान में भी सत्ता गुटबाजी की आंधी में ओझल होती नजर आएगी।


 

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