Jaipur News: जयपुर पुलिस ने पकड़ा शातिर साइबर ठग, बंद हुए पेमेंट अकाउंट को ओपन करने के नाम पर लाखों की ठगी

Jaipur News: जयपुर साइबर थाना पुलिस ने एक ऐसे ठग को गिरफ्तार किया है जो पेटीएम के द्वारा लाखों रुपये की ठगी कर चुका है। आरोपी की पहचान हरियाणा के पलवल जिले के रहने वाले मनीष अत्री के रूप में की है। आरोपी ने एक व्‍यक्ति का पेटीएम अकाउंट हैक कर उसके बैंक अकाउंट से 20 लाख रुपए निकाल लिए थे।

cyber thug arrested
जयपुर साइबर पुलिस ने दबोचा शातिर साइबर ठग   |  तस्वीर साभार: Representative Image
मुख्य बातें
  • पेटीएम अकाउंट हैक कर ठगी करने वाला शातिर ठग गिरफ्तार
  • आरोपी ने एक व्‍यक्ति का अकाउंट हैक निकाल लिए थे 20 लाख
  • बैंक खाते और मोबाइल नंबर को ट्रैक करते हुए आरोपी तक पहुंची पुलिस

Jaipur News: जयपुर कमिश्नरेट के साइबर थाना पुलिस ने एक ऐसे ठग को गिरफ्तार करने में सफलता पाई है, जो पेटीएम के द्वारा लाखों रुपये की ठगी कर चुका है। इस शातिर ठग तक पुलिस इसके बैंक खाते और मोबाइल नंबर को ट्रैक करते हुए पहुंची। पुलिस ने आरोपी की पहचान हरियाणा के पलवल जिले के रहने वाले मनीष अत्री के रूप में की है। आरोपी को ट्रैक करते हुए पुलिस ने इसे ग्रेटर नोएडा के बिसरख इलाके से दबोचा। जांच के दौरान आरोपी के पास से पुलिस ने 2 मोबाइल फोन और 4 सिम कार्ड बरामद किए हैं।

इस गिरफ्तारी की जानकारी देते हुए एडिशनल कमिश्नर अजय पाल लांभा ने बताया कि, 15 जून को विनीत कुमार ने साइबर थाने में शिकायत दी की किसी साइबर ठग ने उसका पेटीएम अकाउंट हैक कर उसके बैंक अकाउंट से 20 लाख रुपए निकाल लिए। इसके बाद इस मामले की जांच के लिए साइबर एक्सपर्ट की टीम को लगाया गया। जांच के दौरान तकनीकी टीम को आरोपी के पेटीएम बैंक एवं बैंक के खाता एवं मोबाइल नंबर की जानकारी मिली। जिसको ट्रेस करते हुए पुलिस इस शातिर ठग तक पहुंची और उसे दबोच लिया।

कुछ इस तरह से करता था आरोपी साइबर ठगी

पुलिस अधिकारियों ने ​​​​​​​आरोपी मनीष अत्री के ठगी के तरीके की जानकारी देते हुए बताया कि, ये आरोपी पिछले कई सालों से इस तरह से साइबर क्राइम कर रहा है। आरोपी सबसे पहले उन मोबाइल नंबरों की जानकारी जुटाता जिन नंबरों से पेटीएम और बैंक खाता एक साथ जुड़ा हो। इसके बाद आरोपी रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर के जारी करने के दौरान दिए गए फोटो की तरह ही दूसरा फोटो व आधार कार्ड बनाता। इसके बाद रिजिस्टर्ड सिम को ब्लॉक बताकर मोबाइल कंपनी से दोबारा से नई सिम जारी कर लेता। इससे पहले से चल रहा नंबर बंद हो जाता और आरोपी को मिला नंबर एक्टिव हो जाता। इसके बाद आरोपी पेटीएम कंपनी का अधिकारी बन अपने शिकार को फोन कर पेटीएम खाता ब्‍लॉक करने की जानकारी देता और उसे अनब्लॉक करने के लिए बैंक खाते की जानकारी ले लेता। इसके बाद खाते के सारे पैसे अपने बैंक खाते में डाल लेता। पैसा ट्रांजेक्‍शन के दौरान ओटीपी उसके पास मौजूद नंबर पर आता, इसलिए उसे कोई परेशानी नहीं होती।

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