Jaipur Health News: जयपुर के एसएमएस अस्पताल में खुला स्कीन बैंक, जले लोगों को ऐसे बचाया जाएगा

SMS Hospital Jaipur: जयपुर के एसएमएस अस्पताल में स्कीन बैंक का शुभारंभ हो चुका है। आग से जलने वालों को मरने से बचाने के लिए वरदान साबित होगी यह कवायद। प्लास्टिक सर्जरी के लिए स्कीन की कमी को पूरा करेगा यह बैंक।

Jaipur Sawai Man Singh Hospital
जयपुर के एसएमएस अस्पताल में खुला स्कीन बैंक   |  तस्वीर साभार: ANI
मुख्य बातें
  • जलने वाले मरीज को लगाई जा सकेगी स्कीन
  • 5 साल तक सुरक्षित रखी जा सकती है स्कीन
  • 60 फीसदी तक जल चुके मरीजों को मरने से बचाया जा सकेगा

Jaipur Health News: राजधानी जयपुर के सवाई मानसिंह हॉस्पिटल की सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक में स्कीन बैंक की शुरूआत हो चुकी है। ये राजस्थान ही नहीं बल्कि उत्तर भारत का पहला स्कीन बैंक होगा। जहां कैडेवर पेशेंट से स्कीन लेकर उसे रखा जा सकेगा और ऐसे मरीज को लगाई जाएगी जिसकी जलने से स्कीन खराब हो चुकी है। उत्तर भारत के लोगों के लिए यह सुविधाजनक साबित होगा। इसके लिए कई दिनों से तैयारी चल रही थी। अब इसे धरातल पर उतारा गया है।

बता दें कि, रोटरी क्लब की ओर से टोंक रोड स्थित सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक में बनाए इस स्कीन बैंक में स्कीन को कैमिकल ट्रीटमेंट के जरिए माइनस -30 से लेकर -80 डिग्री सेल्सियस के टेंपरेचर में 5 साल तक सुरक्षित रखा जा सकेगा। आग से जलने वालों की स्कीन खराब हो जाती है। उनकी स्कीन को नया रूप देने में मददगार साबित होगा स्कीन बैंक।

60 फीसदी से अधिक जले लोगों के लिए वरदान

इस स्कीन बैंक का मुख्य सचिव ऊषा शर्मा ने शुभारम्भ किया है। इस मौके पर मेडिकल एजुकेशन डिपार्टमेंट के डीन शासन सचिव वैभव गालरिया, SMS हॉस्पिटल के अधीक्षक डॉ. विनय मल्होत्रा भी मौजूद रहे। सवाई मान सिंह हॉस्पिटल के स्कीन एवं बर्न यूनिट के हैड और स्कीन बैंक के नोडल ऑफिसर डॉ. राकेश जैन का दावा है कि, ये नार्थ इंडिया का पहला स्कीन बैंक है। उन्होंने बताया कि, ऐसे मामले जहां मरीज 20 से 30 फीसदी जल जाता है तो वहां डॉक्टर पीड़ित की त्वचा का उपयोग किया करते हैं, लेकिन जब बर्न की कंडीशन 60 फीसदी से अधिक होती है तो मरीज को स्किन बैंक से त्वचा की आवश्यकता पड़ती है। ऐसे में स्किन बैंक की उपयोगिता और बढ़ जाती है। प्लास्टिक एवं रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी के गंभीर मामलों में स्किन बैंक बेहद अहम भूमिका निभाते हैं।

90 फीसदी जान जाने का खतरा होगा कम

मिली जानकारी के अनुसार, डॉ. जैन ने बताया कि, जलने वाले ऐसे केस जिसमें व्यक्ति के बॉडी की स्कीन 60 फीसदी या उससे ज्यादा जल जाती है तो उस स्थिती में मरीज को असहनीय पीड़ा होती है। इसके अलावा मरीज की स्कीन जलने के बाद उसे न तो पट्टी की जाती है और न ही ढका जा सकता है, ऐसे में खुला रहने पर इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। इन दो कारणों से मरीज की अक्सर मृत्यु हो जाती है। स्कीन बैंक से ऐसे मरीज को अगर स्कीन मिल सकेगी तो उसकी जान जाने का खतरा 90 फीसदी तक कम हो सकता है। सबसे बड़ी बात ये है कि, स्कीन डोनेट करने वाले और रिसिवर करने वाले के लिए कोई ब्लड ग्रुप के मैच करने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी।

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