कानपुर आईआईटी ने किया कमाल न्यू ड्रग डिलीवरी सिस्टम से अब होगा हड्डियों का निर्माण जानिए क्या है यह तकनीक

IIT Kanpur: कानपुर आईआईटी के विज्ञानिकों ने बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (बीआईटी) के सहयोग से नई दवा वितरण प्रणाली इजाद की है। इस प्रणाली से औषधीय पौधों से रोग ग्रस्त और घायल हड्डियों को जोड़ा जा सकेगा।

IIT Kanpur
आईआईटी कानपुर ने विकसित की नई दवा वितरण प्रणाली (प्रतीकात्मक तस्वीर)  |  तस्वीर साभार: ANI
मुख्य बातें
  • अब औषधीय पौधों के अर्क से जुड़ेंगी टूटी हड्डियां
  • हड्डियों के निर्माण में मदद करेगा न्यू ड्रग डिलीवरी सिस्टम
  • कानपुर आईआईटी ने बीआईटी के सहयोग विकसित की नई दवा वितरण प्रणाली

IIT Kanpur: अगर किसी को अब हड्डियों की परेशानी है तो उसे ठीक किया जा सकता है, साथ ही साथ हड्डियों के निर्माण में भी मदद मिल सकेगी। आईआईटी कानपुर और बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (बीआईटी) ने मिलकर नई दवा वितरण प्रणाली विकसित की है। यह फाइटो बायोएक्टिव आधारित ड्रग डिलीवरी सिस्टम है। इससे रोग ग्रस्त हड्डियों को न्यू ड्रग डिलीवरी सिस्टम की मदद से ठीक किया जा सकेगा। इसमें खास बात यह है कि, यह नई हड्डियों के निर्माण में भी सहायक होगा। आईआईटी कानपुर की तरफ से जैविक विज्ञान और जैव इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर अशोक कुमार, बीआईटी की तरफ से डॉ. स्नेहा सिंह ने फाइटो- बायोएक्टिव (पौधों के अर्क) से हड्डियों को जोड़ने की विधि विकसित की है। 

नई तकनीक फाइटो-बायोएक्टिव्स को हड्डी की बीमारी या चोट की जगह पर ले जाने में मदद करती है, साथ ही यह उपचार को बढ़ावा देती है। आईआईटी निदेशक प्रो. अभय करंदीकर ने बताया कि, विशेषज्ञों ने हड्डी की बीमारी को ठीक करने के लिए नई बोन हीलिंग बायोएक्टिव डिलीवरी सिस्टम का सफल खोज की है। 

दांत और हड्डियां बनाने में मददगार

आपको बता दें कि, फाइटो-बायोएक्टिव्स पौधों से मिले प्राकृतिक रसायन हैं जो स्वास्थ्य में सहायक होते हैं। रोगग्रस्त और घायल हड्डियों के उपचार को पारंपरिक चिकित्सा में इसका उपयोग किया जाता रहा है। नई वितरण प्रणाली इन फाइटो-बायोएक्टिव्स को हड्डी की बीमारी या चोट की जगह पर ले जाने में सहयोग करती है। साथ ही उपचार को बढ़ावा देती है। वितरण प्रणाली को नैनो-हाईड्रॉक्सीपैटाइट के इस्तेमाल के लिए निर्माण किया गया है। नैनो-हाइड्रॉक्सीपैटाइट के उपयोग के लिए नई तकनीक का इस्तेमाल कर निर्माण किया गया है, यह दांतों और हड्डियों को फिर से बनाने व मरम्मत करने में सहायता करने के लिए जाना जाता है। नैनो-हाइड्रॉक्सीपैटाइट-आधारित हड्डी का विकल्प हड्डी के दोषों को दुरुस्त करने के लिए फाइटो-बायोएक्टिव घटकों के स्थानीय, निरंतर रिलीज और दीर्घकालिक वितरण की इजाजत देता है।

उपचार में मील का पत्थर साबित होगी यह तकनीक

आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रो. अभय करंदीकर के अनुसार, हड्डी की बीमारी को ठीक करने में सहायक करने के लिए नई बोन हीलिंग बायोएक्टिव डिलीवरी सिस्टम का आविष्कार भविष्य में मील का पत्थर साबित होगा। फाइटो-बायोएक्टिव्स या पौधों के अर्क प्राकृतिक, गैर-विषैले चिकित्सीय विकल्प हैं, ये हड्डियों का सुरक्षित उपचार करते हैं। वैकल्पिक चिकित्सा में इनका व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाता है।

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