Kanpur News: 'ये प्यार ही तो था', सिपाही जाने लगा तो क्यों रो पड़े मासूम, जानिए इसके पीछे की पूरी कहानी

Kanpur News: कोरारी रेलवे स्टेशन पर कुछ बच्चे भीख मांगते थे। बस यहीं से रोहित के खाकी वाले गुरुजी बनने की कहानी शुरू हुई। अपनी इलाके में तैनाती के 3 महीने बाद ही रोहित ने बेगर्स बच्चों की जिंदगी रोशन करने के लिए अपने दम पर पाठशाला की नींव रखी।

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सिपाही की विदाई पर रो पड़े मासूम  |  तस्वीर साभार: Twitter
मुख्य बातें
  • कोरारी रेलवे स्टेशन पर रूकने पर कुछ बच्चे भीख मांगते थे
  • रोहित ने बेगर्स बच्चों की जिंदगी बदलने के लिए पाठशाला खोली
  • अपने दम पर 125 बच्चों को पढ़ा रहा था ये खाकी वाला गुरुजी

Kanpur News: यूपी के उन्नाव इलाके में खाकी वाले गुरुजी की विदाई पर पाठशाला के बच्चे रो पड़े। पूरा गांव गुरुजी को विदाई देने आया। ग्रामीणों में जीआरपी के कांस्टेबल के प्रति कृतज्ञता के भाव थे। हर किसी के आंख में आंसू था। इस पूरे विदाई कार्यक्रम का कई ग्रामीणों ने वीडियो बना लिया। अब सोशल मीडिया पर यह वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। जिसने भी वीडियो देखा उसकी आंखें नम हो गई।

गांव के करीब सवा सौ बच्चों के तो आंसू थमने का नाम ही नहीं ले रहे हैं। वीडियो में साफ दिख रहा है कि, किस तरह बच्चे जीआरपी के कांस्टेबल को छोड़ने का नाम ही नहीं ले रहे हैं। एक मासूम बच्ची तो सिपाही को पकड़ कर रोते हुए बोली कि, आप चले जाओगे तो हमारा क्या होगा। कोई बच्चा उदास मन से कह रहा था कि, हमें छोड़कर मत जाओ। करीब 45 सेकेंड के इस वायरल वीडियो में दिख रहा है कि, कैसे पूरा गांव उन्हें विदा करने आया। 

बेगर्स बच्चों की बदली जिंदगी

ग्रामीणों के मुताबिक यूपी के इटावा जनपद के गांव मुड़ैना के रहने वाले हेड कांस्टेबल रोहित यादव की वर्ष 2018 में तैनाती उन्नाव के जीआरपी थाने में हुई थी। रोहित की ड्यूटी उन्नाव रायबरेली साधारण सवारी गाड़ी में थी। अपनी ड्यूटी के दौरान रोहित देखता था कि, ट्रेन के कोरारी रेलवे स्टेशन पर रूकने पर कुछ बच्चे भीख मांगते थे। बस यहीं से रोहित के खाकी वाले गुरुजी बनने की कहानी शुरू हुई। अपनी इलाके में तैनाती के 3 महीने बाद ही रोहित ने बेगर्स बच्चों की जिंदगी रोशन करने के लिए अपने दम पर पाठशाला की नींव रखी। बच्चों को पढ़ाने के लिए कड़ी मेहनत की। कुछ समय बाद गरीब परिवारों के बच्चे पढ़ने के लिए रोहित की पाठशाला में आने लगे। सबका जीवन आखर का सबक सीख कर बदलने लगा। 

4 से 125 तक पहुंची तादाद

ग्रामीणों के मुताबिक सिपाही रोहित के जुनून की लोगों ने कदर की और स्कूल के लिए गांव की पंचायत की इमारत दे दी। शुरूआती दौर में महज 4 बच्चे पढ़ने आए। मगर रोहित ने हौसला नहीं हारा और अपनी मेहनत जारी रखी। इसके बाद बच्चों की संख्या लगातार बढ़ती रही और यह संख्या करीब सवा सौ तक पहुंच गई। जब बच्चे रोए तो रोहित की आंखें भी भर आई। हर किसी की जुबान पर एक ही बात थी 'ये प्यार ही तो था'। गांव के प्रधान सुरेश कुशवाहा व ग्रामीणों ने रोहित को फूलमालाओं से लाद गाजे - बाजे के साथ गांव से रूख्सत किया। हालांकि रोहित ने सभी से वादा किया कि, वो गांव को नहीं भूलेगा। छुट्टी वाले दिन गांव मे बच्चों से मिलने व उन्हें पढ़ाने आएगा।

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