IIT Kanpur: आईआईटी कानपुर ने नई पहल की है। अब हर तरह के कैथेटर का रीयूज हो सकेगा। मरीजों के इस्तेमाल करने के बाद कैथेटर को फेंकना नहीं पड़ेगा। इसके लिए मात्र 10 रुपये खर्च करने होंगे। फिर से इसे इस्तेमाल कर सकेंगे। इसके लिए आईआईटी कानपुर ने जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज को कैथेटरों को दोबारा इस्तेमाल करने की मशीन दे दी है। वहीं, केजीएमयू, एसजीपीजीआई मेदांता को मशीन दी जाएगी। इस मशीन से एक कैथेटर 20 बार विसंक्रमित हो सकेगा। इससे लाखों रुपये की बचत होगी, साथ ही बार-बार कैथेटर खरीदने के झंझट से मुक्ति मिलेगी।
आपको बता दें कि, आईआईटी कानपुर की इस पहल से उत्तर प्रदेश के मेडिकल कॉलेज में पहली बार यह सुविधा मिलेगी। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रोफेसर संजय काला ने बताया कि, इस मशीन से बड़ा फायदा मिलेगा।
प्रोफेसर संजय काला ने बताया कि, आईआईटी के बायोसाइंस-बायो इंजीनियरिंग के हेड प्रो. अमिताभ बंदोपाध्याय और स्टार्टअप इनक्रेडिकबल डिवाइस ने इस मशीन को तैयार किया है। कैथेटर बैलून री-प्रोसेसिंग मशीन की कीमत करीब आठ लाख रुपये है। लेकिन इसे मेडिकल कॉलेज को फ्री में दिया गया है। इस मशीन के बाद प्लाज्मा के जरिए 90 हजार तक कैथेटर विसंक्रमित हो सकेंगे। एक कैथेटर को 20 बार इस्तेमाल किया जा सकेगा।
आईआईटी के स्टार्टअप के हेड विक्रम गोयल के अनुसार, कैथेटर बैलून री-प्रोसेसिंग मशीन एक साथ 12 कैथेटर को रीप्रोड्यूस करने का काम करेगी। इसके बाद एक कैथेटर का कई बार उपयोग आसानी से हो सकेगा, हालांकि अभी तक कैथेटर का सिर्फ एक ही बार इस्तेमाल होता है। रीप्रोड्यूस होने के बाद यह पूरी तरह सुरक्षित हो जाएगा। इसके लिए क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया की तरफ से प्लेटिनम सर्टिफिकेट भी दिया जा चुका है। कैथेटर बैलून री-प्रोसेसिंग मशीन का दस राज्यों के 40 अस्पतालों में इस्तेमाल किया जा रहा है। अब कैथेटर बैलून री-प्रोसेसिंग मशीन को फिलहाल लखनऊ के एसजीपीजीआई, केजीएमयू और मेदंता हॉस्पिटल को भी दी जा रही है।
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