Kanpur Hallett Hospital: हैलट अस्पताल में बच्चों के ग्लूकोमा के लिए विशेष सुपर स्पेशलिटी क्लीनिक की हुई शुरुआत

Kanpur Hallett Hospital: कानपुर में बच्चों के ग्लूकोमा बीमारी के इलाज के लिए विशेष प्रकार की सुपर स्पेशलिटी क्लीनिक की शुरुआत हुई है। इस बीमारी से बच्चों की आंखों का आकार बड़ा हो जाता है। अब हैलट में ग्लूकोमा पीड़ित बच्चों का बेहतर इलाज होगा। इसका मुख्य कारण अनुवांशिकता है।

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हैलट अस्पताल में बच्चों के ग्लूकोमा के लिए विशेष सुपर स्पेशलिटी क्लीनिक की हुई शुरुआत  |  तस्वीर साभार: Twitter
मुख्य बातें
  • ब्यूफथेलमॉस के लिए कानपुर में एक सुपर स्पेशलिटी क्लीनिक की शुरुआत हुई
  • प्रदेश का पहला ऐसा सरकारी क्लीनिक है जिसमें बच्चों की आंखों का बेहतर इलाज होगा
  • ब्यूफथेलमॉस के लिए जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में शुरुआत हुई है

Kanpur Hallett Hospital: कानपुर के हैलट अस्पताल में बच्चों के ग्लूकोमा बीमारी के लिए विशेष प्रकार की सुपर स्पेशलिटी क्लीनिक की शुरुआत हुई, जिसमें कई बच्चों की जांच भी की गई। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रो. संजय ने कहा कि यह एक विशेष प्रकार की बीमारी होती है, बच्चों में ग्लूकोमा होने से उनकी आंखों का आकार बड़ा हो जाता है।

अब हैलट में ग्लूकोमा पीड़ित बच्चों का बेहतर इलाज होगा। छोटे बच्चों की आंखें मुलायम होती हैं, इसलिए बढ़े हुए प्रेशर को बच्चों की आखें सहन नहीं कर पाती और बड़ी हो जाती हैं। बच्चों की आंखों से लगातार पानी का बहना, धूप में न खुलना, लगातार रोने जैसे लक्षण दिखाई पड़ते हैं। ऐसे में अधिक खराबी होने पर पुतली सफेद हो जाती है। कई बार ऐसा भी होता है कि बच्चों के आंखों की रोशनी भी चली जाती है। इसका मुख्य कारण अनुवांशिकता है। 

हैलट में सुपर स्पेशलिटी क्लीनिक​​​​​​​ की शुरूआत

प्रो संजय ने कहा कि "ब्यूफथेलमॉस के लिए कानपुर में एक सुपर स्पेशलिटी क्लीनिक की शुरुआत हुई है। जो प्रदेशभर का पहला ऐसा सरकारी क्लीनिक है जिसमें बच्चों की आंखों का बेहतर इलाज हो सकता है। इसमें ज्यादातर बच्चों के ग्लूकोमा को विशेष तौर से देखकर उसका इलाज होगा। उन्होंने कहा कि, " यह एक विशेष प्रकार का​​​​​​​ ग्लूकोमा होता है जिसमें बच्चों की आंखों का आकार बड़ा हो जाता है। क्योंकि बच्चों की आंखें मुलायम होती हैं। इसलिए बढ़े हुए प्रेशर को सहन नहीं कर पाती और वो बड़ी हो जाती है। 

हैलट अस्पताल के आकड़े 

यह बीमारी जन्म लेने वालों बच्चों में 1/2500-1/10000 बच्चों तक में पाया जा सकता है। इसका प्रमुख कारण अनुवांशिकता है। मुख्य बात यह है कि इस बीमारी का ऑपरेशन प्रदेशभर में किसी भी मेडिकल कॉलेज में नहीं हो रहा है और यह सिर्फ जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में हो रहा है। इसकी पहल डॉ. शालिनी मोहन ने की है। इसमें प्रयुक्त होने वाले एक विशेष प्रकार के यंत्र की सुविधा प्रिंसिपल डॉ. संजय काला द्वारा उपलब्ध कराई गई है। जिसकी वजह से बच्चे का ऑपरेशन बेहतर तरीके से हो सकेगा। 

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