Railway Kanpur : कानपुर मंडल में अब रेल हादसे बेहद कम हो जाएंगे। खासतौर पर पटरी बदलने के दौरान कोई दुर्घटना नहीं होगी। क्योंकि, अब हत्थे की जगह माउस की एक क्लिक से पटरियां बदली जाएगी। दरअसल, रेलवे की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक इंटरलॉकिंग जूही यार्ड में बनाई गई है। इसकी वजह से यह संभव हो रहा है।
इस बारे में वरिष्ठ मंडल परिचालन प्रबंधक एसके गौतम ने बताया कि, मौजूदा समय तक हम लोग हत्थे से ही पटरियां बदलते थे। यह काम लखनऊ, मुगलसराय, झांसी तक किया जाता था। मालगाड़ियों की पटरियां जूही यार्ड से ही बदली जाती रहीं हैं।
हत्थे से पटरियां बदलने में रेल के डिरेल होने का रहता था खतरा
मंडल परिचालन प्रबंधक एसके गौतम के मुताबिक, हत्थे से पटरियां बदले जाने में खूब जोखिम है। इसमें ट्रेन के बेपटरी होने की आशंका बनी रहती है। अब इस नई तकनीक के इस्तेमाल से यह काम सरल एवं सुरक्षित हो गया है। इससे यात्रियों के अलावा रेल कर्मियों का भी तनाव कम हुआ है। इसका एक फायदा यह भी है कि अब भीमसेन से ट्रेन के गुजरते ही गोविंदपुरी से दूसरी ट्रेन रवाना हो सकेगी।
90 साल पुरानी तकनीक से चल रहा था काम
रेल अधिकारियों के मुताबिक, जूही के ए एंड बी केबिन में 90 साल पुरानी तकनीक से पटरियों को बदला जा रहा था। इंटरलॉकिंग की इस प्रणाली को बदलकर अब आसान कर दिया गया है। नई ईआई यार्ड में 59 नई प्वाइंट मशीन, 42 मुख्य सिग्नल, 51 शंट सिग्नल, 84 डीपी एक्सल काउंटर और 92 डीसी ट्रैक सर्किट लगाए गए हैं।
जूही यार्ड का सबसे बड़ा कंट्रोल सेंटर
बता दें जूही यार्ड का कंट्रोल सेंटर सबसे बड़ा है। एनसीआर में इतना बड़ा कंट्रोल सेंटर किसी के पास नहीं है। यहां 699 रूटों का ईआई नेटवर्क है। इस यार्ड में लगे दो ईआई 39 रनिंग लाइन, पांच अलग-अलग दिशाओं से मल्टीपल लाइन पर यातायात और आधा दर्जन से ज्यादा साइडिंग को कंट्रोल किया जाता है।
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