डॉ. शिवानी सभरवाल
नई दिल्ली : स्तनपान करना गर्भवती महिला और शिशु के स्वास्थ्य के लिए उपयुक्त है। यह शिशुओं में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाता है। कई महिलाओं के लिए स्तनपान बच्चे के साथ एक भावनिक समय है। यह बच्चे को किसी भी संक्रमित बिमारी से दूर रखता है। इस प्रकार, स्तनपान कराने के फायदों के बारे में माताओं को परामर्श करना चाहिए।
मां का दूध न केवल शिशुओं के लिए फायदेमंद हैं, बल्कि समय से पहले जन्मे नवजात शिशु के स्वास्थ्य के लिए भी उपयोगी हैं। जन्म के बाद एनआईसीयू में भर्ती बच्चों के शारीरिक विकास आणि पोषण के लिए माता का दूध लाभकारक है। इसलिए माताओं को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके बच्चे समय-समय पर स्तनपान करें। यदि आप ऐसा नहीं करते हैं तो तुरंत ऐसा करना शुरू कर दें।
स्तन के दूध के कई स्वास्थ्य लाभ हैं। इस दूध में पोषक तत्व होते है, जिसमें सभी प्रोटीन, शुगर और कई पौष्टिक तत्वों का समावेश होता है, जो आपके बच्चे के शारीरिक विकास में मदतगार साबित होते हैं। इसके अलावा मानव दूध में एंटीबॉडी, प्रतिरक्षा कारक, एंजाइम और सफेद रक्त कोशिकाओं जैसे पदार्थ होते हैं। दूध में ऐसे पदार्थ शामिल होते हैं, जो बच्चे का पहला टीकाकरण समझा जाता है और बच्चे को संक्रमित बिमारी से बचाता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, बच्चे को जन्म के एक घंटे बाद माता का दूध मिलना जरूरी है। बच्चे की अच्छी सेहत के लिए दो साल की उम्र तक उसे स्तनपान कराया जाना चाहिए।
निमोनिया और डायरिया जैसे संक्रमित बीमारी का खतरा बढ रहा हैं। इसमें स्तनपान न करने वाले शिशुओं की मृत्यु होने की आशंका अधिक होती है। इसलिए स्तनपान के बारे में गर्भवती महिलाओं को जागरूक करना जरूरी है। इसके लिए चर्चा सत्र आयोजित करना चाहिए और प्रसव के बाद भी इसे जारी रखना चाहिए। विशेष रूप से पहले 6 महीनों के लिए महिला के साथ विशेष स्तनपान के महत्व पर चर्चा की जानी चाहिए। लेकिन इसका मतलब यह है कि उन्हें 6 महीने के बाद स्तनपान बंद कर देना चाहिए। यह तब तक जारी रहना चाहिए जब तक स्तनपान मां करा सकेती है। जब वह घर पर हो तब उसे बच्चे को अधिक बार दूध पिलाना चाहिए।
स्तनपान तीन प्रकार का होता है- प्रारंभिक दूध, संक्रमणकालीन दूध और परिपक्व दूध। प्रसव के चार दिनों तक गर्भावस्था के शुरुआती चरण में प्रारंभिक दूध का उत्पादन होता है। इस दूध में अधिक मात्रा एंटीबॉडी की होती है। यह बच्चे की सेहत के लिए फायदेमंद होता है। फिर 4-10 दिनों में उत्पादित संक्रमणकालीन दूध आता है। प्रारंभिक दूध की तुलना में इसमें प्रोटीन कम होता है, लेकिन यह भी महत्वपूर्ण होता है। फिर परिपक्व दूध आता है और यह दूध अधिक समय तक मां अपने बच्चे को पिला सकती है।
(डॉ. शिवानी सभरवाल दिल्ली के अपोलो स्पेक्ट्रा अस्पताल में स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं)
डिस्क्लेमर: प्रस्तुत लेख में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल आम जानकारी के लिए हैं और इसे पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जा सकता। किसी भी तरह का फिटनेस प्रोग्राम शुरू करने अथवा अपनी डाइट में किसी तरह का बदलाव करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।