शोध में चौंकाने वाला खुलासा, कोरोना काल में मास्क न पहनने वाले लोगों के पास होता है कम दिमाग

Coronavirus Pandemic: कोरोना वायरस से बचने के लिए कई ऐसे उपाय हैं, इसमें सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क पहनना और हाथ धोना सबसे जरूरी है। लेकिन जो लोग इसका पालन नहीं कर रहे हैं वह कम दिमाग के होते हैं।

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शोध में चौंकाने वाला खुलासा 
मुख्य बातें
  • कम दिमाग के होते हैं कोरोना काल में इन उपायों को फॉलों न करने वाले लोग।
  • रिसर्च का दावा- इन लोगों के पास गलत और सही फैसले करने की क्षमता नहीं होती।
  • 850 अमेरिकी नागरिकों पर किया गया रिसर्च।

कोरोना महामारी ने दुनियाभर के लोगों के जीवन अस्त व्यस्त कर दिया है। इससे बचने के लिए लोगों को सावधानियां बरतने की सलाह दी जा रही है। वहीं सरकार की तरफ से गाइडलाइन जारी किए गए हैं, जिसमें बताया गया है कि इस खतरनाक बीमारी से बचने के लिए लोगों को क्या करना चाहिए। वहीं कोरोना से बचने के लिए सबसे जरूरी उपाय है मास्क पहनना, हाथ धोना और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना। लेकिन इस मुश्किल परिस्थिति में कई ऐसे भी लोग हैं, जो इन नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। एक रिसर्च के मुताबिक ऐसे लोगों की बौद्धिक क्षमता कम होती है। 

यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया की एक स्टडी के मुताबिक जो लोग कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए मास्क पहनने, हाथ धोने या फिर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं कर रहे हैं उनकी बुद्धि कम होती है। एक वेबसाइट कि रिपोर्ट के मुताबिक ऐसे लोगों के पास सही और गलत का फैसला करने की क्षमता नहीं होती है। इससे उनकी याददाश्त और काम करने की प्रक्रिया का भी पता चलता है। दरअसल यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया ने 850 अमेरिकी नागरिकों पर रिसर्च किया है। इस सर्वे उन्हें पता चला कि जो लोग इन नियमों का पालन कर रहे हैं वह बुद्धिमान होते हैं। 

वहीं ऐसे लोगों का दिमाग सही और गलत का फैसला लेने में मदद करता है। इससे कामकाज के लिए उपयोग किए जाने वाला दिमाग बताता है कि आपके पास सही बातों को समझने की क्षमता कितनी है। अगर आप फायदे के नियमों का पालन सही तरीके से कर रहा हैं तो इसक मतलब है कि आप अपने दिमाग का सही उपयोग कर रहे हैं। शोधकर्ता ने बताया कि जिन लोगों के पास दिमागी क्षमता ज्यादा वह इन चीजों को बेहतर तरीके से काम कर रहे हैं। साथ ही इन नियमों का हर वक्त पालन कर रहे हैं। 

इसके अलावा जिनकी बौद्धिक क्षमता कम है उन्होंने कोरोना से बचने के लिए बताए गए नियमों का पालन नहीं किया है। इसके साथ ही वे इन नियमों को बार-बार तोड़ा है। शोधकर्ता ने बताया कि दुनियाभर के देशों में सरकार को इन कम बुद्धि वाले लोगों के लिए जागरूकता अभियान चलाना चाहिए। ताकी वह समझ सकें कि इस खतरनाक बीमारी से बचने के लिए इन नियमों का पालन करना कितना जरूरी है।

उन्होंने बताया कि लोग भले ही नियमों का पालन कर रहे हैं लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग को अपनी आदत में लाने के लिए थोड़ा वक्त लग सकता है। क्योंकि इन नियमों का अपनी आदतों में शामिल करने के लिए हमें दिमागी तौर पर उसकी जरूरतों को समझना होगा। एक बार समझने के बाद यह हमारे आदतों में शुमार हो जाएगा, तब हमें किसी तरह की कोई परेशानी नहीं होगी।

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