Public Toilet Doors: इन दिनों 'पंचायत 2' वेब सीरीज ने धमाल मचाया हुआ है। जहां देखो सिर्फ पंचायत की ही बात चलती रहती है। ऐसा हो भी क्यों न ग्रामीण समाज की हकीकत को उजागर करती ये सीरीज कई सामाजिक मुद्दों पर बात करती है। इन्हीं मुद्दों में से एक है टॉयलेट का मुद्दा। इस मुद्दे पर सरकार भी काफी जोर दे रही है कि गांव हो या शहर, हर घर में टॉयलेट होना ही चाहिए, ताकि साफ-सफाई और स्वास्थ्य बना रहे। आपने हर जगह के टॉयलेट इस्तेमाल किए होंगे, पब्लिक टॉयलेट भी। खासकर मॉल और ऑफिस के पब्लिक टॉयलेट में अगर आपने ध्यान दिया हो तो यहां के टॉयलेट की दरवाजे जमीन से कुछ इंच की ऊंचाई पर लगे होते हैं और नीचे से थोड़ी जगह खुली होती है लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों होता है, तो चलिए आज हम आपको बताते हैं इसकी असली वजह-
सफाई करने में आसानी
पब्लिक टॉयलेट 24 घंटे बिजी रहते हैं। ऐसे में टॉयलेट को बार-बार साफ करना जरूरी होता है। लेकिन पूरे बंद दरवाजों में टॉयलेट को साफ करना मुश्किल होता है और इसमें काफी समय भी लगता है। वहीं, नीचे से खुले दरवाजों वाले टॉयलेट में पोछा लगाना आसान होता है।
बच्चों की सुरक्षा
कई बार पब्लिक टॉयलेट में बच्चे अंदर जाकर लॉक लगा तो देते हैं लेकिन उन्हें ये समझ नहीं आता कि लॉक खोले कैसे। ऐसे में बच्चों को दरवाजे के नीचे छुटी खाली जगह से आसानी से निकाल लिया जाता है।
इमरजेंसी के लिए
कई बार ऐसे मामले देखने को मिलते हैं कि टॉयलेट में गया आदमी बेहोश हो गया। ऐसे में दरवाजा अगर अंदर से बंद है तो बेहोश व्यक्ति को बाहर कैसे निकाले। इस तरह की इमरजेंसी से निपटने के लिए भी पब्लिक टॉयलेट के दरवाजों को कुछ छोटा करके लगाया जाता है।
सेक्सुअल एक्टिविटी पर लगाए रोक
कई बार ऐसा भी देखने को मिलता है कि लोग टॉयलेट में ही रोमांटिक हो जाते हैं। इस तरह के लोगों पर लगाम लगाने के लिए भी दरवाजे छोटे रखे जाते हैं। ताकि लोगों को इतनी प्राइवेसी न मिले कि वो टॉयलेट में ऐसी हरकतें करने लगें।
शराब-सिगरेट पर रोक
कुछ लोग पब्लिक टॉयलेट में सिगरेट और शराब का सेवन करने लग जाते हैं, ऐसे लोगों पर रोक लगाने के लिए भी छोटे दरवादे फायदेमंद होते हैं।
(डिस्क्लेमर: प्रस्तुत लेख में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल आम जानकारी के लिए हैं और इसे पेशेवर सलाह के रूप में नहीं लिया जा सकता है।)