भारत में सैकड़ों ऐतिहासिक इमारतें हैं जिनकी सैर करने प्रत्येक वर्ष लाखों देशी-विदेशी सैलानी आते हैं। इनमें से ऐसे भी ऐतिहासिक किले और इमारतें हैं जिनको देखने के लिए सरकार ने टिकट लगा रखा है। इन टिकटों से हर साल भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय को बहुत ज्यादा आमदनी होती है। यह शुल्क दर भारतीय नागरिकों के लिए 5 रुपए से लेकर 250 रुपए तक है। लेकिन इनकी लोकप्रियता इतनी है कि देश और विदेश से लोग इनको देखने की चाहत में प्रवेश शुल्क देने से पीछे नहीं हटते। पर्यटकों की इसी दीवानगी के कारण पर्यटन मंत्रालय हर साल करोड़ों रुपए की कमाई करता है। क्या आप इन इमारतों के नाम जानते हैं? आपको हम ऐसी 10 सबसे अधिक राजस्व देने वाली ऐतिहासिक स्मारकों के बारे में बताएंगे।
1. ताजमहल
ताजमहल की खूबसूरती के कारण इसे दुनिया के सात अजूबों में से एक अजूबे की उपाधि मिली है। आगरा स्थित ताजमहल बहुत खूबसूरती से बनाई गई ऐतिहासिक इमारत है। यह सफेद संगमरमर से बना है जिसे बनने में 22 वर्ष का समय लगा था।
शहंशाह शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज़ की याद में इसे बनवाया था। ताजमहल में मुमताज़ और शाहजहां की कब्र हैं। इसे प्रेम का प्रतीक माना जाता है। विदेशी सैलानियों में ताजमहल की दीवानगी देखते ही बनती है।
2. लाल किला
नई दिल्ली स्थित लाल किला प्रसिद्ध मुगल सम्राट शाहजहां के द्वारा 1648 में 17वीं शताब्दी के दौरान निर्मित कराया गया था। यह लाल बलुआ पत्थरों का प्रयोग करके निर्मित किया गया है। इसे यूनेस्को द्वारा 2007 में विश्व विरासत स्थल के तहत लिया गया है। हर साल 15 अगस्त को, प्रधानमंत्री के द्वारा एक भारतीय ध्वज, इसके मुख्य द्वार पर देश के प्रतिष्ठित प्रतीक के रुप में फहराया जाता है।
इसमें एक संग्रहालय, रंग महल, मोती महल, दीवान-ए-आम और दीवान-ए-खास जैसी सुन्दर संरचनाएं हैं। आम लोगों के लिए हमेशा खुला ही रहता है सालभर में लाखों की संख्या में लोग इस ऐतिहासिक किले को देखने आते हैं।
3. क़ुतुब मीनार
प्रारंभिक इंडो-इस्लामिक वास्तुकला शैली में बनी यह मीनार ईंट से बनी विश्व की सबसे ऊँची मीनार है।
ऐसा माना जाता है कि दिल्ली सल्तनत के संस्थापक क़ुतब-उद-दीन ऐबक ने इसकी नींव रखी थी। इसका निर्माण कार्य इलुत्मिश द्वारा पूरा कराया गया था। यह मीनार दिल्ली के महरौली इलाक़े में स्थित है।
4. हुमायूंं का मकबरा
दूसरे मुग़ल बादशाह हुमायूँ की इस आखिरी आरामगाह को 1570 ई. में बनवाया गया था। इस स्मारक ने ताज महल के निर्माण में भी प्रेरणा का काम किया। इस खूबसूरत इमारत के चारों तरह एक बड़ा ही मनमोहक गार्डन भी है।
सैलानी इस गार्डन में ठंड के मौसम में आराम फरमाते हैं। फोटो और सेल्फी के शौकीन लोगों के लिए यह एक शानदार जगह है।
5. आगरा का क़िला
आगरा का किला ताजमहल जितना मशहूर तो नहीं पर आगरा आने वाले सभी सैलानी आगरा का किला देखने जरूर जाते हैं। इस किले पर लम्बे समय तक राजपूतों ने राज किया। लेकिन बाद में यह मुगलों के कब्जे में आ गया। जिसके बाद इसे मुग़ल वास्तुकला के हिसाब से नवीनीकरण किया गया। नवीनीकरण के ठीक बाद बादशाह अकबर ने आगरा को अपनी राजधानी बना दिया और उन्होंने इस क़िले को अपना आशियाना बना लिया। इस शानदार इमारत के कुछ हिस्सों को फिलहाल आम जनता के लिए बंद कर दिया गया है।
6. फतेहपुर सीकरी
एक समय था जब फतेहपुर सीकरी मुग़ल बादशाह अकबर के समय सबसे महत्वपूर्ण शहर था। फतेहपुर सीकरी का बुलंद दरवाजा सैलानियों को बहुत आकर्षित करता है। आगरा से करीब 40 किलोमीटर दूर इस शहर को देखने भी लाखों सैलानी आते हैं।
7. खजुराहो
खजुराहो अपनी मंदिर की दीवारों पर बनी कामुक मूर्तियों के लिए जाना जाता है। यह शहर मध्य प्रदेश के उत्तरी इलाके में स्थित है और इसे यह नाम ‘खजुरा’ यानी खजूर के पेड़ से मिला है। 1850 तक खजुराहो के मंदिरों को अनदेखा किया गया।
खजुराहो अपने वार्षिक नृत्य त्यौहार ‘मतंगेश्वर शिव त्यौहार’ और पन्ना नेशनल पार्क के लिए भी जाना जाता है।
8. अजंता और एलोरा की गुफाएं
दूसरी ईसवी से लेकर 11वीं ईसवी के बीच उदार और महान राजाओं ने इन गुफाओं का निर्माण करवाया था। एलोरा में 34 गुफाओं का एक समूह है जिसका निर्माण 6 ईसवी से 11वीं ईसवी के बीच किया गया। औरंगाबाद से करीब 99 किलोमीटर दूर अजंता में ऐसी ही 29 गुफाएं हैं जिनके बारे में माना जाता है कि इनका इस्तेमाल बौद्ध भिक्षुओं द्वारा निवासस्थान के रूप में किया जाता था। यह बुद्ध को मानने वालों के साथ-साथ जैन और हिन्दू धर्म के लिए भी महत्वपूर्ण स्थान है। एलोरा में मौजूद कैलाश मंदिर एक पत्थर से बनी विश्व की सबसे बड़ी स्मारक है। औरंगाबाद मुंबई शहर से करीब 400 किलोमीटर दूर है.
9. सूर्य मंदिर, कोणार्क
तेरहवीं सदी में कलिंग वास्तुकला के तौर पर निर्मित कोणार्क मंदिर सबसे बेहतर सूर्य मंदिर है और यहाँ सैलानी भी बड़ी तादाद में आते हैं। मंदिर में सात घोड़ों द्वारा संचालित एक विशेष रथ के आकार की इमारत है, जिस पर भगवान सूर्य या सूर्य के पुत्र अरुण को सवार देखा जा सकता है।
यह स्मारक ओडिशा के पूरी शहर से 35 किलोमीटर दूर है।
10. महाबलीपुरम
महाबलीपुरम में समुद्र के किनारे स्थित मंदिर में ग्रेनाइट के पत्थरों से बनी तीन पवित्र स्थान दर्शकों को अपने ओर आकर्षित करता है।
महाबलीपुरम पोंडीचेरी से 95 किलोमीटर दूर है। इस शहर का नाम उस महान दानव-राजा बाली के नाम पर रखा गया था, जिसे भगवान वामन (महाविष्णु के एक अवतार) द्वारा आज्ञा दी गई थी कि वे पृथ्वी पर राज करें।