नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा के लिए एक शानदार पल आया है जहां भाजपा समर्थित उम्मीदवारों ने उत्तर प्रदेश सहकारी भूमि विकास बैंकों के चुनाव में 311 में से 281 शाखाओं पर शानदार जीत दर्ज की है। इनके लिए मंगलवार को मतदान हुआ था। बीजेपी ने इस जीत के साथ ही भाजपा ने समाजवादी पार्टी के तीन दशक तक यहां काबिज रहने का तिलिस्म तोड़ दिया है। मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी ने भी कुछ सीटें जीतीं। 1991 से अब तक सहकारिता के क्षेत्र में खासकर 'यादव परिवार' का दबदबा रहा है।
बीजेपी की ऐतिहासिक जीत
इसके लिए मंगलवार को मतदान हुआ था। इन चुनावों के लिए चुनाव आयुक्त पी.के. मोहंती ने आईएएनएस को बताया कि शिकायतों के चलते 11 जगहों पर चुनाव रद्द किए गए थे। इस 'ऐतिहासिक जीत' को लेकर भाजपा नेताओं ने दावा किया है कि विपक्षी उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ने की ही हिम्मत नहीं की। वहीं विपक्ष ने कहा कि कि राज्य की मशीनरी ने चुनावों को हाइजैक कर लिया था। कांग्रेस गांधी परिवार की परंपरागत सीट अमेठी के जगदीशपुर में ही जीत दर्ज करा सकी, जहां राहुल गांधी 2019 के लोकसभा चुनाव में स्मृति ईरानी से हार गए थे।
शिवपाल का रहा है दबदबा
आपको बता दें कि यूपी में सहकारी ग्रामीण विकास बैंक की कुल 323 ब्रांच हैं और प्रत्येक से एक-एक प्रतिनिधि चुना जाता है। इन्ही प्रतिनिधियों के माध्यम से 14 निदेशकों का चुनाव होगा और फिर एक सभापति का चुनाव होगा। अभी तक इन शाखाओं पर सपा खासकर यादव परिवार का वर्चस्व रहा है और शिवपाल यादव सभापति रहे हैं। लेकिन इस बार बीजेपी की बदली रणनीति ने सपा के सारे दांव फेल कर दिए। 2005 से तीन बार बैंक के अध्यक्ष रह चुके प्रगतिवादी समाजवादी पार्टी लोहिया (पीएसपीएल) के अध्यक्ष शिवपाल यादव ने कहा कि भाजपा सरकार ने नियमों में बदलाव किया जिसने उन्हें चुनाव लड़ने में अयोग्य घोषित कर दिया।
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