Uttar Pradesh: जल्द ही लगेगा महंगी बिजली का करंट, 300 यूनिट के बाद ही करना पड़ सकता है 7 रुपए प्रति यूनिट का भुगतान

Electricity Price Hike: प्रदेश भर में बिजली दर बढ़ाने का कंपनियों ने खाका तैयार कर लिया है। कंपनियां स्लैब के सहारे बिजली का बिल बढ़ाने की तैयारी में हैं। इससे शहरी क्षेत्रों के 90 लाख बिजली उपभोक्ताओं पर भार पड़ेगा।

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बिजली बिल में हो सकती है बढ़ोतरी  |  तस्वीर साभार: फेसबुक
मुख्य बातें
  • बिजली दर बढ़ाने की 21 जून को होनी है सुनवाई, कंपनियों ने किया खाका तैयार
  • शहर में घरेलू और कमर्शियल उपभोक्ताओं दोनों का बिल में होगी वृद्धि
  • अब 300 यूनिट के बाद 7 रुपए यूनिट के हिसाब से बिजली बिल का करना होगा भुगतान

Electricity Price Hike: उत्तर प्रदेश में बिजली दर बढ़ाने की सुनवाई 21 जून से होनी है। लेकिन कंपनियों ने इसका खाका पहले ही तैयार कर लिया है। कंपनियां स्लैब के सहारे बिजली का बिल बढ़ाने की तैयारी में हैं। इससे शहरी क्षेत्रों के 90 लाख बिजली उपभोक्ताओं पर भार पड़ेगा। इससे पहले 500 यूनिट से ज्यादा बिजली खर्च होता था, तो 7 रुपए यूनिट के हिसाब से बिजली बिल का भुगतान करना होता था लेकिन अब 300 यूनिट के बाद ही 7 रुपए यूनिट के हिसाब से बिजली बिल का भुगतान करना होगा। 

वहीं उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने कहा कि, नियामक आयोग में रिपोर्ट भेज दी गई है। जिसमें स्लैब में बदलाव की बात कही गई है। जिससे रेट बढ़ना तय है। ऐसे में घरेलू और कमर्शियल उपभोक्ताओं दोनों के बिल में वृद्धि होगी। 

150 यूनिट के लिए 935 रुपए देने पड़ते थे, नए स्लैब में 960 रुपए देने पड़ेंगे 

इस बार कंपनियों ने बिजली दर बढ़ाने की मांग नहीं की है। लेकिन वह चाहती हैं कि, स्लैब बदल दिया जाए। इसके चलते कम बिजली जलाने के बाद भी अपने आप बिल ज्यादा आएगा। उदाहरण के लिए अगर एक किलोवॉट का कोई उपभोक्ता 150 यूनिट बिजली जलाता है, तो पहले उसका बिल 935 रुपए आता था, लेकिन नए स्लैब में उसको 960 रुपए का भुगतान करना पडे़गा। अभी अगर आप 150 यूनिट तक खर्च करते हैं तो आपको 5.50 रुपए के हिसाब से प्रति यूनिट से बिजली का बिल भुगतान करना पड़ता है। लेकिन, अगर नया स्लैब लागू हो गया तो फिर 100 यूनिट तक 5.50 रुपए के हिसाब से जबकि 50 यूनिट के 6 रुपए प्रति यूनिट के हिसाब से बिल का भुगतान करना  होगा। अवधेश वर्मा ने बताया कि, इसका विरोध नियामक आयोग से लेकर शासन स्तर पर होगा। यह व्यवस्था दो बार विद्युत नियामक आयोग द्वारा खारिज की जा चुकी है। इसके बावजूद इसे लागू कराने के लिए बिजली कंपनियां फिर से दबाव बना रही है।

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