राहुल गांधी पर योगी आदित्यनाथ ने साधा निशाना, उधार की बुद्धि विवेक नहीं दे सकती

IEC 2021 के सातवें संस्करण में सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जिन लोगों को सियासत की आदत पड़ चुकी है। उन्होंने कहा कि विकास और आस्था हमारे शासन का आधार है उसमें किसी को आपत्ति क्यों होनी चाहिए।

राहुल गांधी पर योगी आदित्यनाथ मे साधा निशाना,  उधार की बुद्धि विवेक नहीं दे सकती
आईईसी 2021 में योगी आदित्यनाथ, राहुल गांधी पर बरसे 
मुख्य बातें
  • कांग्रेस के पतन के सबसे बड़े कारण हैं राहुल गांधी- योगी आदित्यनाथ
  • योगी आदित्यना बोले- आस्था, विकास दोनों को हम लोग एक साथ लेकर चलने वाले हैं
  • महाराष्ट्र का मुद्दा हैरान करने वाला है, पारदर्शी जांच की आवश्यकता

नई दिल्ली। इंडिया इकोनॉमिक कांक्लेव 2021 के सातवें संस्करण में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उनकी सरकार ने किसानों की बेहतरी के लिए पिछले चार साल में अच्छा काम किया है। किसानों को बेहतरी के लिए एक जिला एक उत्पाद पर काम करना शुरू किया है और उसके नतीजे सामने आ रहे हैं। गोरखपुर के टेराकोटा को जब हमने पहचान दिलाई तो उसका असर दिखाई देने लगा। कोविड निश्चित तौर पर संकट है लेकिन उसे हमने अवसर के तौर पर भी देखा। 

राहुल गांधी पर कसा तंज
योगी आदित्यनाथ ने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए तंज कसा। उन्होंने कहा कि वो उधार की बुद्धि से चलते हैं और उससे अक्ल नहीं आती। इस समय राहुल गांधी यूपी में कहां रहते हैं, उनकी तो आदत बन गई है कि जब वो उत्तर भारत में होते हैं तो दक्षिण का आलोचना करते हैं इसके साथ ही दक्षिण में रहने पर उत्तर की आलोचना और विदेश में रहने पर देश की आलोचना। यह तो उनकी आदत हो गई है। उनसे इससे ज्यादा की आप उम्मीद नहीं कर सकते हैं। 

आस्था और विकास का समन्वय जरूरी
बंगाल चुनाव में विकास और आस्था के विषय पर उन्होंने कहा कि बीजेपी के शासन का आधार विकास ही है। लेकिन हम यह मानकर चलते हैं कि अगर विकास के साथ सर्वसमाज के आस्था का सम्मान भी होना चाहिए। लेकिन सवाल तो यह पूछा जाना चाहिए वो लोग कहां से जो सिर्फ तुष्टीकरण की राजनीति करते हैं। एक स्पष्ट बदलाव जो आया है अब वो लोग भी आस्था की बात करते हैं जो पहले परहेज किया करते थे। 

महाराष्ट्र का मुद्दा हैरान करने वाला
महाराष्ट्र के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि हाल ही में जिस तरह से घटनाक्रम घटित हुआ है वो निराशाजनक है। उन मामलों में एनआईए की जांड जारी है लेकिन राजनीतिक नेतृत्व संदेह के घेरे में है और उसके बारे में सोचने की जरूरत है। अगर कोई वरिष्ठ अधिकारी सवाल उठाता है तो अच्छा यह होगा कि उसकी पारदर्शी जांच हो। 

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