यूपी विधानसभा के चुनाव अगले साल होने हैं लेकिन उससे पहले राजनीतिक समीकरणों को साधने का काम शुरू हो चुका है, बीएसपी ने साफ कर दिया है कि वो अकेले चुनावी समर में उतरेगी तो समाजवादी पार्टी का कहना है कि बीजेपी के खिलाफ सभी छोटे दलों को एक मंच पर आना चाहिए। इन सबके बीच बीजेपी का कहना है कि लड़ाई तो नंबर 2 और नंबर 3 की है। बीजेपी एक बार फिर सत्ता में वापसी करेगी। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा प्रदेश के सभी मोर्चों के अध्यक्षों से मुलाकात करने वाले हैं और वो खुद 7 और 8 अगस्त को यूपी के दौरे पर रहेंगे।
यूपी में विकास की गंगा बही
यूपी विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी का कहना है कि पिछले साढ़े चार वर्षों में विकास की गंगा बही है। कोरोना महामारी के दौर में भी समाज के हर वर्गों खासतौर से कमजोर और जरूरतमंदों को के लिए खास काम किया गया। जहां तक विपक्ष की बात है तो उनका काम विरोध करना है और वो करते रहेंगे। बीजेपी की सरकार ने अपने घोषणापत्र में जिन वादों का जिक्र किया था उसे पूरा करने की कोशिश की गई है। विपक्ष आज मुद्दा विहीन है, इसके साथ कुतर्क की राजनीति की जा रही है। समाजवादी पार्टी और बीएसपी से आप बहुत कुछ बेहतर उम्मीद नहीं कर सकते हैं। लिहाजा उनके आरोपों को ना तो बीजेपी और ना ही जनता तवज्जो देती है।
क्या कहते हैं जानकार
जानकारों का कहना है कि 2022 का चुनाव दिलचस्प रहने वाला है। यह बात सच है कि यूपी में विपक्ष जितना बिखरा होगा बीजेपी के सामने मुश्किलें कम होंगी। लेकिन सियासत में कभी भी किसी समय बदलाव होता है जिसके बारे में भविष्यवाणी करना मुश्किल होता है। अगर 2017 के चुनाव को देखें तो सामाजिक समीकरणों को साधते हुे बीजेपी चुनाव में उतरी और उसका फायदा भी मिला। अगर बात 2017 से लेकर 2021 की करें तो कई घटक दल बीजेपी को छोड़ चुके हैं या कुछ घटक दल आंखें भी दिखाते हैं ऐसे में बीजेपी संगठन के लिए जरूरी है कि उसकी तरफ से किसी तरह की कोर कसर ना रह जाए। लिहाजा उस संदर्भ में जे पी नड्डा की प्रदेश के सभी मोर्चों के अध्यक्षों से मुलाकात खास है।
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