यूपी में सिंगल चाइल्ड वालों को मिलेगी अतिरिक्त सुविधा, की गईं अहम सिफारिशें

यूपी राज्य विधि आयोग ने सिंगल चाइल्ड रखने वालों के लिए खास सिफारिशें की हैं। इन सिफारिशों में सरकारी नौकरी वालों को चार इक्रीमेंट देने पर बल दिया गया है।

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यूपी में सिंगल चाइल्ड वालों को मिलेगी अतिरिक्त सुविधा, की गईं अहम सिफारिशें 
मुख्य बातें
  • यूपी में सिंगल चाइल्ड रखने वालों को कुछ अतिरिक्त सुविधा देने की सिफारिश
  • सरकारी नौकरी वालों को चार इंक्रीमेंट देने की सिफारिश अगर एक बच्चा हो
  • अगर सिंगल चाइल्ड लड़की हो तो उच्च शिक्षा में स्कालरशिप देने की सिफारिश

देश के सबसे बड़े सूबों में से एक यूपी सरकार जनसंख्या नीति को पेश कर चुकी है, इस नीति में जहां एक तरफ दो बच्चे वालों को कुछ खास सुविधाओं को देने की बात कही गई है तो दूसरी तरफ निषेधात्मक प्रावधानों का भी ऐलान है। लेकिन इसके साथ ही योगी सरकार उन लोगों को अतिरिक्त सुविधा देने का भी विचार कर रही है जिन्हें सिर्फ एक बच्चा है। इस संबंध में उत्तर प्रदेश जनसंख्या नियंत्रण, स्थिरीकरण और कल्याण विधेयक 2021 को राज्य विधि आयोग ने सीएम योगी आदित्यनाथ को सौंपा।

2001 से लेकर 2011 तक आबादी में बेतहाशा बढ़ोतरी
राज्य विधि आयोग का कहना है कि 2001 से लेकर 2011 की बात करें तो प्रदेश की जनसंख्या में 20.23 का इजाफा हुआ है, गाजियाबाद में सर्वाधिक 25 फीसद से अधिक का इजाफा तो लखनऊ, मुरादाबाद, सीतापुर और बरेली में 23 से 25 फीसद के करीब इजाफा हुआ। अगर इस रफ्तार को देखा जाए तो यह प्रदेश के विकास में बाधक है, और इसके लिए सकारात्मक और दंडात्मक दोनों तरह कार्रवाई जरूरी है।

सिंगल चाइल्ड वालों के लिए खास सिफारिश
45 वर्ष की आयु तक सिंगल चाइल्ड महिलाओं को एक लाख की विशेष प्रोत्साहन राशि
ट्रांसजेडर बच्चों तो दिव्यांग के तौर पर देखा जाए, इसका अर्थ यह है कि दंपति तीसरा बच्चा पैदा कर सकता है।
नसबंदी कराने की पाबंदी नहीं. अगर किसी महिला की उम्र 45 वर्ष और बच्चे की एज 10 वर्ष हो तो नसबंदी की जरूरत नहीं
एक बच्चा रखने वालों को सरकारी नौकरी में चार इंक्रीमेंट देने की सिफारिश
एक बच्चा होने पर शिक्षा में अतिरिक्त लाभ। अगर बेटी है तो उच्च शिक्षा के लिए स्कॉलरशिप की व्यवस्था

करीब 8500 सुझाव आए
आयोग का कहना है कि ऐसे लोग जो दो बच्चा नीति पर आगे बढ़ना चाहते हैं उन्हें खास प्रोत्साहन देने की आवश्यता है, यही नहीं एक बच्चा रखने वाले लोगों को और अधिक सुविधा देने की जरूरत है। बता दें कि आयोग ने विधेयक के प्रारूप के लिए सुझाव मांगे थे और करीब 8500 सुझाव ऐसे थे जिसमें कानून बनने पर हामी भरी गई। लोगों के सुझाव पर प्रारूप में बदलाव भी किए गए हैं।

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