UP BJP News: कार्यकर्ता पार्टी की रीढ़ उनका हित सर्वोपरि- बीजेपी अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी का खास बयान

भूपेंद्र चौधरी का कहना है कि पंचायत चुनाव में पार्टी ने तय किया था किसी भी बड़े नेता या जनप्रतिनिधि के परिवार के किसी सदस्य को टिकट नहीं दिया जाएगा। पंचायत चुनाव के समय पार्टी ने सामूहिक रूप से यह निर्णय लिया था। हालांकि, अभी इस बारे में कोई नियम नहीं बना है, इसलिए जब भी चुनाव आएगा, इस बारे में बैठकर तय किया जाएगा। लेकिन पार्टी की मूलभावना परिवारवाद के खिलाफ है।

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भूपेंद्र सिंह चौधरी, यूपी बीजेपी अध्यक्ष 

लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने अपना कार्यभार ग्रहण कर लिया है। संगठन की गतिविधियों को समझने के लिए उन्होंने दौरे भी शुरू कर दिए हैं। उनका कहना है कि कार्यकर्ताओं के हित सर्वोपरि हैं उनके अथक परिश्रम से ही परिणाम मिलता है। उन्हें इसका मूल्य मिलेगा। तमाम बोडरें और निगमों में जो पद खाली हैं उन्हें भरने की प्रकिया शुरू की जाएगी।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने कहा कि निगम, बोर्ड, निगमों और आयोगों में जो पद खाली पड़े हैं उन पर कार्यकर्ताओं का समायोजन जल्द होगा। यह विषय पार्टी के संज्ञान में है। हमारे पास इसकी सारी सूची है। कार्यकर्ताओं का सारा डेटा संगठन के पास है। इसका होमवर्क भी है। इस बारे में सामूहिकता के साथ मिल-बैठकर निर्णय किया जाएगा। सूची सरकार को मनोनयन के लिए भेजी जाएगी। यह बहुत महत्वपूर्ण विषय है। जल्द ही इस विषय को हल कर लिया जाएगा।

वहीं, लोक सभा चुनाव से पहले होने वाले निकाय चुनाव के लिए टिकट वितरण नीति के सवाल पर भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी ने स्पष्ट रूप से कहा कि पार्टी में किसी भी तरह के परिवारवाद को बढ़ावा नहीं दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि समय आने पर इस बारे में फैसला लिया जाएगा कि नगर निकाय चुनाव में सांसद, विधायकों के परिवार के किसी सदस्य को टिकट दिया जाएगा या नहीं। लेकिन, भूपेन्द्र सिंह ने इशारों ही इशारों में ये संकेत जरूर दे दिया कि जरूरत पड़ी तो पार्टी नरम रवैया अपना सकती है।

मुख्यमंत्री के कहने के बाद भी कार्यकर्ताओं की शिकायत है कि अधिकारी उनकी नहीं सुन रहे हैं। इस पर उन्होंने कहा कि सरकार पार्टी का एजेंडा पूरा कर रही है। पार्टी के एजेंडे पर सरकार चल रही है। हमने जो संकल्प पत्र में जो बाते कहीं है उसको सरकार पूरा कर रही है। कुछ व्यक्तिगत विषय होंगे तो हम लोग सामूहिक रूप से बैठकर निपटा लेंगे।उन्होंने खुद भी पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद 'एक पद-एक विधान' नियम का पालन किया और तुरन्त मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। अभी पार्टी में बहुत से लोग दो पदों पर आसीन हैं। इस पर चौधरी ने कहा कि चूंकि मैं पार्टी का अध्यक्ष हूं, जब तक त्याग पत्र न देता तो व्यवस्था नहीं बनती। मिल बैठकर नई व्यवस्था तय कर देंगे कि लोग दूसरा पद मिलने पर एक पद से अपने आप कार्य मुक्त हो जाएं।

आने वाले समय में आपका किस पार्टी से मुकाबला है, इस सवाल पर चौधरी ने कहा कि अभी तो भाजपा के सामने मुकाबले में कोई नहीं है। सपा प्रमुख विपक्षी दल है, लेकिन उनके गठबंधन के पूर्व सहयोगी ओपी राजभर ही बता रहे हैं कि वे कहां रहते हैं और उनकी राजनीति में सक्रियता कितनी है। बसपा मुखिया कहां है? कांग्रेस की भाई बहन की जोड़ी दिखाई नहीं दे रही है। विपक्ष कहीं नहीं है, हम जनता के बीच हैं। जनता से हमारे कार्यकर्ता का संपर्क, संवाद बना हुआ है।

गन्ना किसानों के भुगतान के सवाल पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि पिछली सरकारों ने चीनी मिलों को बेचा है, जबकि हमारी सरकार ने कोरोना जैसी महामारी में मिलों को चलाकर किसानों के हितों का ख्याल रखा है। भाजपा सरकार ने किसानों को गन्ना मूल्य का रिकॉर्ड भुगतान कराया है। गन्ना भुगतान को लेकर कोई आंदोलन अब नहीं हो रहा है। विपक्षी दल किसानों के कंधों पर बंदूक रखकर निशाना साध रहे थे। कथित किसान नेता योगेंद्र यादव ने कहा था कि उन्होंने अखिलेश को पिच तैयार करके दी थी, वह बैटिंग नहीं कर पाए तो क्या करें? विपक्षियों को जनता ने विधानसभा चुनाव में नकार दिया है।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने आगे कहा कि किसान आंदोलन तीन कृषि कानून वापस लेने के बाद समाप्त हो गया। यह अब जो बातें हो रही है यह सब भड़काऊ गैंग के सदस्य हैं। यह अपने हित के लिये ऐसी बात करते हैं।

पश्चिम में सपा-रालोद गठबंधन के असर के सवाल पर उन्होंने कहा कि मैं भाजपा का कार्यकर्ता हूँ। मेरे लिए सम्मान की बात है कि मैं जाट समाज से आता हूं। खराब समय में भी सबसे ज्यादा वोट भाजपा को पश्चिम जिले से मिले हैं। 2022 विधानसभा चुनाव में पहला चरण सपा-रालोद के प्रभाव वाला क्षेत्र था, लेकिन भाजपा ने 58 में से 46 सीटें जीतीं। इससे अच्छा प्रदर्शन नहीं हो सकता। पहले चरण में 80 प्रतिशत वोट इसी समुदाय से आते हैं। वहां भाजपा को बढ़त मिली है। पश्चिमी यूपी को 6 मंडलों में 70 प्रतिशत सीटें भाजपा को ही मिली हैं। जनता का सर्वाधिक प्यार भाजपा को मिला है।

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