वो महीनों तक सहती रही बिन ब्याही मां बनने का ताना, लोगों ने कर दिया जीना दूभर, अब डॉक्टर ने खोला पूरा मामला

KGMU Tumor Operation: एक किशोरी का अचाक इतना पेट बढ़ गया कि लोग उसे गर्भवती समझने लगे। लोग किशोरी को बिन ब्याही मां होने का ताना देते थे। इस वजह से किशोरी ने घर से निकलना ही बंद कर दिया था।

Tumor in Stomach
किशोरी के पेट से निकला 15 किलो का ट्यूमर  |  तस्वीर साभार: Representative Image
मुख्य बातें
  • ट्यूमर से किशोरी का पेट बढ़ा, लोग समझने लगे गर्भवती
  • लोगों के तानों से परेशान किशोरी ने घर से निकलना किया था बंद
  • लखनऊ में केजीएमयू के डॉक्टरों ने की मुफ्त सर्जरी

Tumor In Stomach: प्रतापगढ़ जिले के एक गांव की 16 साल की एक किशोरी का पेट इतना बढ़ गया कि, लोग उसे गर्भवती समझने लगे। किशोरी को 11 महीने तक लोग गर्भवती समझकर ताने देते रहे। लोगों ने इतने ताने मारे कि मां-बेटी का जीना दूभर हो गया। किशोरी ने घर से निकलना बंद कर दिया। इसी वजह से स्कूल भी जाना बंद कर दिया। ऐसे में किशोरी की पढ़ाई भी छूट गई। किशोरी को लेकर उसकी मां ने डॉक्‍टरों को दिखाया। लेकिन कहीं से कोई इलाज नहीं मिला। आखिर में किशोरी आशा वर्कर के जरिए केजीएमयू लखनऊ पहुंची। यहां डॉक्‍टरों ने ऑपरेशन कर किशोरी के पेट से 15 किलोग्राम का ट्यूटर निकाला। 

जानकारी के अनुसार, प्रतापगढ़ जिले के रानीगंज के दुर्गागंज गांव की एक महिला का पति 16 साल पहले पत्नी और बेटी को छोड़कर चला गया था। पति के जाने के बाद महिला ने गांव में ही दूसरे शख्स से विवाह कर लिया। उससे महिला की दो और बेटियां हुईं, लेकिन दूसरे पति की मारपीट से परेशान होकर वह बेटियों को लेकर मायके में रहने लगी।

यूरि‍न जांच में नहीं हुई गर्भावस्था की पुष्टि

वह गांव में छप्पर के नीचे बच्चियों के साथ गुजर बसर करने लगी। इस बीच 17 साल की बड़ी बेटी के पेट में अचानक एक दिन दर्द शुरू हुआ, साथ ही पेट बढ़ता गया। लड़की दर्द से कराहती रही, लोग उसे गर्भवती समझने लगे। जांच और इलाज के अभाव में किशोरी घर पर ही रही। लोगों ने उसे खूब ताने भी दिए। धीरे-धीरे इस बात को 11 महीने बीत गए। इस बीच गांव के प्रधान ने आशा वर्कर को बुलाया और यूरि‍न जांच कराई। इसमें गर्भावस्था की पुष्टि नहीं हुई। वहीं, लड़की की हालत आए दिन बिगड़ती जा रही थी। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सकों ने परिजनों को किशोरी को जिला अस्पताल ले जाने की सलाह दी। जिला अस्पताल के डॉक्टरों ने किशोरी को प्रयागराज भेज दिया। यहां डॉक्टरों ने इलाज में डेढ़ लाख का खर्च आना बताया। गरीबी के चलते परिवार ने इतनी बड़ी रकम देने में असमर्थ जताई तो चिकित्सकों ने किशोरी को लखनऊ में केजीएमयू भेज दिया। 

केजीएमयू में किशोरी को मिला मुफ्त इलाज

यहां जनरल सर्जरी विभाग के डॉ. सुरेश कुमार ने किशोरी की सभी जांच कराईं। वहीं, केजीएमयू प्रशासन ने सभी जांच और भर्ती शुल्क माफ कर दिया। जांच में सामने आया कि किशोरी के पेट में 15 किलो का ट्यूमर है। जिसके बाद केजीएमयू के डॉ. सुरेश ने ऑपरेशन कर ट्यूमर निकाल दिया। ऑपरेशन के बाद किशोरी पूरी तरह से ठीक हो गई। केजीएमयू प्रशासन ने जांच और दवाएं मुहैया करा दी। डॉ. सुरेश ने डिस्चार्ज के बाद किशोरी को घर तक जाने का किराया और भोजन के लिए भी मदद की। केजीएमयू प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह ने बताया कि, गरीब मरीजों को केजीएमयू में लगातार मुफ्त इलाज दिया जा रहा है। किशोरी का भी मुफ्त इलाज कराया गया है।
 

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