Hindu new year 2079 :लखनऊ में कुड़ियाघाट पर होगा नव संवत्सर का संगीतमय स्वागत, जानें क्या है तैयारी

Hindu new year 2079 : लखनऊ में 2 अप्रैल को संस्कार भारती की ओर से भारतीय नव संवत्सर 2079 यानी हिंदू नव वर्ष का सुरमयी स्वागत कुडि़या घाट पर किया जाएगा। इस दौरान संगीत साहित्य और कला जगत के मूर्धन्य कला साधक को कला साधक सम्मान भी प्रदान किया जाएगा।

Hindu New Year
नव संवत्सर 2079 स्वागत के लिए तैयार कुड़िया घाट  |  तस्वीर साभार: Twitter
मुख्य बातें
  • भगवान भास्कर को अर्घ्य देकर मनेगा नव संवत्सर
  • 16 वर्षों से मनाया जा रहा है कुड़ियाघाट पर हिन्दू नव वर्ष
  • नव संवत्सर के दिन ब्रम्हा ने की थी सृष्टि की रचना

Hindu new year 2079: हिंदू नव वर्ष 2 अप्रैल को यानी शनिवार को है। भारतीय नव संवत्सर 2079 यानी हिंदू नव वर्ष का सुरमयी स्वागत लखनऊ में कुडि़या घाट पर होगा। संस्कार भारती नवसंवत्सर जनकल्याण न्यास के पदाधिकारियों, संगीत प्रेमियों व गणमान्य व्यक्तियों द्वारा भगवान भुवन भास्कर की पहली किरण को अर्घ्य देकर उत्‍साह के साथ नव संवत्सर मनाया जाएगा।

संस्कार भारती की संगीत विधा संयोजिका डा. पूनम श्रीवास्तव ने बताया कि, हमारा नव संवत्सर महोत्सव पिछले 16 वर्षों से निरंतर चौक के कुड़िया घाट पर सुबह पांच बजे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता रहा है। आयोजन में शास्त्रीय गायन, वादन और नृत्य के कार्यक्रमों के साथ-साथ सूर्य देव की प्रथम किरण को अर्घ्य देकर नव वर्ष का स्वागत किया जाता है।

कार्यक्रम में कला साधक सम्मान भी दिया जाएगा

हर साल संगीत, साहित्य और कला जगत के मूर्धन्य कला साधक को कला साधक सम्मान भी प्रदान किया जाता है। इस साल प्रसिद्ध वायलिन वादक स्वर्गीय प्रो. गोपाल चंद्र नंदी (मरणोपरांत) एवं प्रसिद्ध बांसुरी वादक पं. रवि राज शंकर को प्रदान किया जाएगा।

 ब्रह्मा ने आरंभ की थी सृष्टि की रचना

हनुमान सेतु मंदिर स्थित वेदविद्यालय के वेदाचार्य गोविन्द कुमार शर्मा ने बताया कि, नया संवत्सर चैत्र शुक्ल प्रतिपदा 2 अप्रैल, दिन शनिवार से प्रारंभ होगा। नये संवत्सर का प्रारंभ शनिवार से होगा अतः इस वर्ष के राजा शनि देव एवं मंत्री देवगुरु बृहस्पति होंगे। नये संवत्सर का प्रथम दिन सर्वश्रेष्ठ दिनों में माना जाता है, क्योंकि इस दिन ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना आरंभ की थी तथा इसी दिन मत्स्यावतार का आविर्भाव एवं सत्ययुग का आरंभ हुआ था। 

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही मां के चैत्र/वासंतिक नवरात्र भी प्रारम्भ होते हैं

प्रतिपदा से नवमी तक सभी सनातन धर्मावलंबियों के घरों में जगतजननी मां दुर्गा के सामने कलश स्थापन कर कल्याण की कामना की जाती है। नव दिन लगातार मां दुर्गा का पूजन, दुर्गासप्तशती का पाठ एवं नवमी को नवदुर्गा स्वरूप कन्या पूजन एवं हवन किया जाता है।

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