एक कबाड़ी वाला कैसे बना महाराष्ट्र का कैबिनेट मंत्री? और फिर मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में हुआ गिरफ्तार 

मुंबई समाचार
अबुज़र कमालुद्दीन
अबुज़र कमालुद्दीन | जूनियर रिपोर्टर
Updated Feb 23, 2022 | 21:10 IST

नवाब मलिक ने अपना राजनीतिक सफर समाजवादी पार्टी से शुरू किया था। वो पहले कबाड़ी का काम किया करते थे। उन्होंने अपना पहला चुनाव निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर लड़ा था। 

Nawab Malik : How did a scrap dealer become cabinet minister of Maharashtra? And then arrested for money laundering 
महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री नवाब मलिक का राजनीतिक सफर  |  तस्वीर साभार: ANI
मुख्य बातें
  • जवानी में नवाब मलिक ने किया कबाड़े का कारोबार। 
  • पहला चुनाव बुरी तरह हार गए थे। 
  • लागातार तीन बार एक ही सीट से विधायक रहे। 

साल 1979 की बात है, इस्लाम मलिक के बेटे ने ग्रेजुएशन में दाखिला लिया। लेकिन कुछ पारिवारिक कारण की वजह से वो लड़का बीए के फाइनल ईयर की परीक्षा नहीं दे पाया। इसी दैरान मुंबई विश्वविद्यालय ने कॉलेजों की फीस बढ़ा दी। छात्रों ने फीस बढ़ोत्तरी के खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिया। वो नौजवान लड़का भी इस आंदोलन में कूद पड़ा और प्रदर्शनों में हिस्सा लेने लगा। लेकिन किसे पता था कि यह छोटा सा आंदोलन उस नौजवान के अंदर राजनीति के प्रति चाहत पैदा कर देगा। उस जमाने में कांग्रेस का बोलबाला था। वो लड़का राजनीतिक रैलियों में आने जाने लगा। 

1984 में संजय गांधी की मौत के बाद संजय विचार मंच की स्थापना की गई। इस लड़के ने संजय विचार मंच की सदस्यता ले ली। इसी दौरान लोकसभा चुनाव ने दस्तक दी। इस नौजवान ने लोकसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया। चूंकि संजय विचार मंच को राजनीतिक पार्टी के तौर पर मान्यता नहीं थी। इस वजह से निर्दलीय चुनाव लड़ा लेकिन कामयाबी हाथ नहीं लगी। लेकिन उसने पीछे मुड़ कर नहीं देखा। फिर एक दिन यह लड़का महाराष्ट्र कैबिनेट में मंत्री बना और मुंबई एनसीपी का अध्यक्ष भी। आज उस शख्स की उम्र 62 साल हो गई है और उन्हें प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में लम्बी पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया है। वो नौजवान आज की तारीख में महाराष्ट्र का कैबिनेट मंत्री है और नाम है नवाब मलिक। 

यूपी के बलरामपुर से है नवाब मलिक का खास रिश्ता 

नवाब मलिक का परिवार बलरामपुर जिले का रहने वाला था। खेती बाड़ी के साथ-साथ नवाब मलिक का परिवार कारोबार से भी जुड़ा था। परिवार की आर्थिक स्थिति उस दौर में भी बहुत अच्छी थी। 20 जून 1959 को नवाब मलिक की पैदाइश बलरामपुर के धुरवा गांव में हुई। 1970 में नवाब का परिवार मुंबई शिफ्ट हो गया। मुंबई में यह परिवार एक छोटा सा होटल भी चलाता था साथ ही कबाड़े का भी कारोबार था। 

नवाब मलिक ने मुंबई के अंजुमन हाई स्कूल से 10वीं किया। 1978 में बुरहानी कॉलेज से 12वीं पास किया। चूंकि परिवार का कबाड़ का काम था तो नवाब मलिक ने भी उस काम में हाथ बंटाना शुरू किया। ग्रेजुएशन के दौरान छात्र आंदोलन में हिस्सा लिया। सिर्फ 21 साल की उम्र में नवाब मलिक की शादी महजबीन से हो गई। उनके परिवार में आज पत्नी के अलावा 2 बेटे और 2 बेटियां हैं।

समाजवादी पार्टी से शुरू किया था अपना राजनीतिक सफर 

1984 में निर्दलीय चुनाव हारने के बाद नवाब मलिक ने साल 1992 में 'सांझ' नाम का एक अखबार निकालना शुरू किया। लेकिन आर्थिक तंगी की वजह से यह अखबार बंद हो गया। इसी दौरान राम मंदिर का आंदोलन चरम पर था। मुसलमानों के बीच समाजवादी पार्टी ने अपनी अच्छी पहुंच बना ली थी। नवाब मलिक ने समाजवादी पार्टी का दामन थामा। वो मुलायम सिंह यादव के करीबी समझे जाते थे। 1995 में नवाब मलिक ने समाजवादी पार्टी के टिकट पर महाराष्ट्र की नेहरू नगर सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा। लेकिन वो शिवसेना के सूर्यकांत महादिक से 14058 वोटों से हार गए। सूर्यकांत महादिक पर धर्म के आधार पर चुनावी प्रचार करने के आरोप लगे। मामला अदालत तक पहुंचा और अदालत ने सूर्यकांत की सदस्यता रद्द कर दी। 

1996 के उपचुनाव में नवाब मलिक फिर से समाजवादी पार्टी के टिकट पर नेहरू नगर से चुनावी मैदान में उतरे। लेकिन इस बार उन्होंने जीत हासिल की और पहली बार विधानसभा पहंचे। 1999 में उन्होंने फिर इसी सीट से दूसरी बार जीत दर्ज की। वक्त गुजरता गया और महाराष्ट्र की राजनीति में नवाब मलिक का कद भी बढ़ता गया। इसी बीच नवाब मलिक और मुलायम सिंह के रिश्ते में खटास की खबर आई। उन्होंने समाजवादी पार्टी को अलविदा कह दिया। 2004 में नेहरू नगर सीट से एनसीपी के टिकट पर चुनाव लड़ा और लगातार तीसरी बार जीत हासिल की। 

लगातार चार बार बने विधायक और फिर शिवसेना उम्मीदवार ने हराया 

परिसीमन के बाद नवाब मलिक की सीट बदल गई। 2009 में उन्होंने अणुशक्ति नगर से लगातार चौथी जीत दर्ज की। सबकुछ सही चल रहा था। लेकिन साल 2014 के विधानसभा चुनाव में शिवसेना उम्मीदवार ने नवाब मलिक को हरा दिया। 2019 के चुनाव में नवाब मलिक ने वापसी की और पांचवी बार विधायक बने। फिलहाल वो महाराष्ट्र सरकार में अल्पसंख्यक, कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री हैं। 2020 में पार्टी ने उन्हें मुंबई एनसीपी का प्रमुख बनाया जिसके बाद नवाब मलिक और ज्यादा सक्रिय हो गए। 

विवादों से रहा है पुराना रिश्ता 

नवाब मलिक का विवादों से पुराना रिश्ता रहा है। 2005 से 2006 के दौरान महाराष्ट्र में विलासराव देशमुख की सरकार थी। जरीवाला चाल पुनर्विकास योजना में नवाब मलिक पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे। आरोप भी अन्ना हजारे ने लगाया था। नवाब मलिक को इस्तीफा देना पड़ा। लेकिन मामला शांत होते ही उन्हें फिर से मंत्री पद मिल गया। नवाब मलिक पर देवेंद्र फडणवीस ने अंडरवर्ल्ड से जुड़े दो लोगों से जमीन खरीदने का आरोप लगाया था। साथ ही किरीट सोमैया ने पुणे में वक्फ बोर्ड की जमीन हड़पने का भी आरोप लगाया था। 

हालांकि नवाब मलिक की गिरफ्तारी के बाद जमकर राजनीति शुरू हो गई है। ममता बनर्जी ने शरद पवार से बात कर समर्थन देने की बात कही है। वहीं दूसरी ओर एनसीपी ने भी अपनी आपात बैठक बुलाई है।

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