26/11 हमला : मुंबईकर्स के मुरीद रतन टाटा, आतंकवादी हमले की बरसी पर लिखा भावुक पोस्‍ट

मुंबई समाचार
भाषा
Updated Nov 26, 2020 | 19:12 IST

Ratan Tata on 26/11 attack: मुंबई में 26 नवंबर, 2008 को हुए आतंकी हमले की बरसी पर उद्योगपति रतन टाटा ने ट्विटर पर भावुक पोस्‍ट लिखा है। उन्‍होंने आतंकवाद के खिलाफ मुंबईवासियों की एकजुटता की जमकर प्रशंसा की।

26/11 हमला : मुंबईकर्स के मुरीद रतन टाटा, आतंकवादी हमले की बरसी पर लिखा भावुक पोस्‍ट
26/11 हमला : मुंबईकर्स के मुरीद रतन टाटा, आतंकवादी हमले की बरसी पर लिखा भावुक पोस्‍ट  |  तस्वीर साभार: BCCL

नई दिल्ली : वरिष्ठ उद्योगपति रतन टाटा ने मुंबई में 12 साल पहले आज ही के दिन हुए आंतकी हमले की भयावह घटना को याद करते हुए गुरुवार को सोशल मीडिया मंच एक भावुक टिप्प्णी लिखी। प्रतिष्ठित उद्यमी ने लिखा कि इस हमले को कभी नहीं भुलाया जा सकता। यह हमला 26/11 नाम से दुनियाभर में चर्चित है। इस आतंकी हमले का निशाना बने ताज होटल का स्वामित्व रखने वाले टाटा समूह की वर्षों तक अगुवाई करने वाले टाटा ने आतंकवादी हमले की बरसी पर कलाकार संजना देसाई द्वारा बनाए गए मुंबई के प्रतिष्ठित ताज महल पैलेस होटल के चित्र के साथ सोशल मीडिया पर अपनी श्रद्धांजलि पोस्ट की। इस चित्र के साथ एक संदेश भी लिखा था, 'हम याद रखेंगे।'

नवंबर 2008 को हुए इस आतंकी हमले के समय टाटा समूह की अगुवाई कर रहे टाटा ने लिखा, 'आज से 12 साल पहले हुए प्रचंड विनाश को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा।' उन्होंने आगे लिखा, 'लेकिन, जो बात अधिक यादगार है, वह यह कि उस दिन जिस तरह मुंबई के विविधतापूर्ण लोग आतंकवाद और विनाश को खत्म करने के लिए मतभेदों को किनारे रखकर एक साथ आए।' टाटा ने उम्मीद जताई कि आगे आने वाले वर्षों में एकता और दया के कार्यों की चमक बरकरार रहेगी।

बहादुरों के बलिदान को सैल्‍यूट!

उन्होंने आगे लिखा, 'आज, हम निश्चित रूप से अपने खोए हुए लोगों का शोक मना सकते हैं और उन बहादुरों के बलिदान का सम्मान कर सकते हैं, जिन्होंने दुश्मन को हराने में मदद की, लेकिन हमें जिस बात की सराहना करनी चाहिए, वह एकता, दया और संवेदनशीलता के कार्य हैं, जिसे हमें संजोना चाहिए और उम्मीद है कि ये कार्य आने वाले वर्षों में अपनी चमक बिखेरने के लिए जारी रहेंगे।'

इसी तरह की भावनाओं को व्यक्त करते हुए महिंद्रा एंड महिंद्रा के अध्यक्ष आनंद महिंद्रा ने गुरुवार को ट्वीट किया, 'मुंबईकर 26/11 हमले की रात को नहीं भूलेंगे, जब हवा अनिश्चितता और असुरक्षा से भरी थी। मुझे लगा कि जैसे शहर और देश पर आक्रमण हो रहा था।' दक्षिण अफ्रीकी नेता स्वर्गीय नेल्सन मंडेला की एक टिप्पणी का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, 'मैंने सीखा कि डर का न होना, साहस नहीं है, बल्कि इस पर जीत हासिल करना साहस है।' महिंद्रा ने आगे कहा, '... लेकिन सप्ताह के अंत तक हमने मंडेला के उद्धरण को जीवन में उतार लिया- मुंबई और भारत ने जीत हासिल की।' 

लश्कर-ए-तैयबा संगठन से जुड़े 10 पाकिस्तानी आतंकवादी 26 नवंबर 2008 को समुद्री मार्ग से मुंबई पहुंचे थे और उन्होंने अंधाधुंध गोलीबारी की, जिससे 18 सुरक्षाकर्मियों सहित 166 लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए।

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