शिवसेना ने 'सामना' में साधा राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी पर निशाना, छात्र बने तकरार की वजह

मुंबई समाचार
भाषा
Updated May 25, 2020 | 13:37 IST

शिवसेना( Shiv Sena) के मुखपत्र सामना( Samana) ने आज अपने संपादकीय में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी( Bhagat Singh Koshyari) के एक निर्णय पर निशाना साधा है। जानिए सामना ने उनके बारे में क्या कहा है।

UddhavThackeray BS Koshyari
उद्धव ठाकरे और भगत सिंह कोश्यारी  
मुख्य बातें
  • शिवसेना के मुखपत्र सामना ने अब राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी पर निशाना साधा है
  • यूनिवर्सिटी की परीक्षाओं को लेकर हुई ये तकरार
  • शिवसेना परीक्षाओं को टालने के पक्ष में है जबकि राज्यपाल का है अलग विचार

मुम्बई: महाराष्ट्र की सत्तारूढ़ पार्टी शिवसेना ने विश्वविद्यालय के अंतिम वर्ष के छात्रों की परीक्षा कराने की मांग पर राज्यपाल बी. एस. कोश्यारी पर सोमवार को निशाना साधते हुए कहा कि कोविड-19 संकट के दौरान छात्रों के स्वास्थ्य को खतरे में नहीं डाला जा सकता। 

शिवसेना ने अपने मुखपत्र 'सामना' में कहा कि जब आरएसएस समर्थित अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) मौजूदा परिस्थिति को देखते हुए गुजरात और गोवा में परीक्षा कराने का विरोध कर चुकी है तो फिर कोश्यारी की मांग उनसे अलग क्यों है? मराठी दैनिक पत्र ने पूछा, 'क्या इसलिए क्योंकि महाराष्ट्र में आरएसएस समर्थित भाजपा की सरकार नहीं है?'

कोश्यारी महाराष्ट्र विश्विद्यालय के कुलपति भी हैं। उन्होंने पिछले सप्ताह मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिख छात्रों के हित में बिना विलंब किए राज्य में विश्वविद्यालय के अंतिम वर्ष की परीक्षाएं कराने को कहा था। पत्र में कोश्यारी ने कहा था, 'विश्वविद्यालयों द्वारा वार्षिक परीक्षा का आयोजन नहीं करना विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने के बराबर है।'

राज्य के उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री उदय सामंत द्वारा अंतिम वर्ष की वार्षिक परीक्षा रद्द करने के लिए यूजीसी को पत्र लिखने पर भी राज्यपाल ने कड़ी आपत्ति जताई थी। उन्होंने मुख्यमंत्री से कहा था कि वह अपने मंत्री को अवांछित हस्तक्षेप से बचने के लिए उचित निर्देश दें। सामंत का बचाव करते हुए शिवसेना ने कहा कि मंत्री ने परीक्षाओं को लेकर अपनी राय व्यक्त की थी लेकिन कोश्यारी का तो कहना है कि परीक्षाएं ही करा दें।

उद्धव ठाकरे नीत पार्टी ने आश्चर्य जताया, 'आरएसएस समर्थित छात्र इकाई एबीवीपी पहले ही गुजरात और गोवा में मौजूदा परिस्थिति में परीक्षाएं कराने का विरोध कर चुकी है। फिर कोश्यारी एबीवीपी से एकदम अलग मांग क्यों कर रहे हैं। क्या इसलिए क्योंकि महाराष्ट्र में आरएसएस समर्थित एबीवीपी की सरकार नहीं है?'

उसने कहा कि राज्य में 10 लाख छात्रों के भविष्य के लिए परीक्षाएं महत्वपूर्ण हैं लेकिन इसके लिए उनके स्वास्थ्य को खतरे में नहीं डाला जा सकता।
उसने कहा, 'जब सभी संस्थानों ने समय-सीमा बढ़ा दी है तो राज्यपाल विश्वविद्यायलों से कोविड-19 की चुनौतियों से निपटने और परीक्षाएं कराने की उम्मीद कैसे कर सकते हैं?'

उसने कहा कि राज्यपाल की चिंता उचित है लेकिन जब विदेशों से भी छात्र वापस आ गए हैं तो वह स्थानीय विश्वविद्यालय से परीक्षाएं कराने की उम्मीद कैसे कर सकते हैं। उसने कहा कि मुम्बई, पुणे, औरंगाबाद जहां प्रमुख विश्वविद्यालयों के मुख्यालय हैं, वे अब भी कोविड-19 से प्रभावित हैं। 'सामना' ने कहा, 'ऐसे समय में परीक्षा कराने की मांग पूरी करने का सवाल ही नहीं उठता।'


 

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