Noida News: आज हम आपको ऐसे बैंकों के बारे में बता रहे हैं, जिनके बारे में आपने सुना ही नहीं, बल्कि सोचा भी नहीं होगा। यह सभी बैंक नोएडा में स्थित हैं। खास बात यह है कि, इन बैंकों में पैसा या कोई कीमती सामान नहीं, बल्कि कूड़ा-करकट जमा होता है। आप सुनकर हैरान हो रहे होंगे कि, आखिर ऐसे बैंकों को क्या काम होगा? लेकिन आपको बता दें कि, इन बैंकों के कारण ही नोएडा की एक सोसाइटी सुंदरता और स्वच्छता के मामले में पूरे गौतमबुद्धनगर में नंबर-वन पर बनी रही है।
कूड़े-करकट वाले एरिया को बनाया शानदार पार्क
आरडब्लूए महासचिव पवन यादव ने बताया कि, निवासियों ने सेन्चुरी सोसाएटी को स्वच्छ बनाने की मुहिम से शुरूवात की है और आज मलवे, कूड़े-करकट वाले एरिया को शानदार पार्क बना दिया। 2019 से प्राधिकरण ने स्वच्छता प्रतियोगिता में भाग लेना शुरू किया। हमारा भी फर्ज बनता है कि, सोसाइटी से कैसे कम से कम मलवा बाहर किया जाए और कैसे पुरानी चीजों का पुनः उपयोग किया जाए। इसके लिए विभिन्न बैंक बनाएं। जिनमे बर्तन बैंक, कपड़ा बैंक, थैला बैंक, बुक बैंक, दवा बैंक, प्लास्टिक बोतल बैंक और वेस्ट बैंक आदि हैं।
कैसे काम करते हैं ये बैंक
कपड़ा बैंक : कपड़ा बैंक में सोसायटी के लोगों से अपील की जाती है कि, आपके घर में जो भी पुराने कपड़े हो, उन्हें आप मेनगेट पर जमा कर दें और जो जरूरतमंद होते हैं, उन्हें वह कपड़े दे देते हैं। बाकी जो कपड़े जो किसी के काम नहीं आ सकते, उन कपड़ों से टेलर को देकर कपड़े के थैले बनवाए जाते हैं।
थैला बैंक : पवन यादव ने बताया कि, टेलर द्वारा पुराने कपड़ों से बनाए गए कपड़े के थैले को हम गेट पर रखते हैं, जो निवासी गेट पर सामान लेने मार्केट, साप्ताहिक बाजार, मदर डेयरी, जनरल स्टोर या कहीं और सामान लेने जाते हैं। उन्हें यह थैले दिए जाते हैं। जिससे प्लास्टिक का प्रचलन बंद किया जा सकता है।
बुक बैंक : निवासी और बच्चे अपनी पुरानी किताबें या घर में रखी अनुपयोगी किताबों को यहां देते हैं। यहां से जिस बच्चे को चाहिए, वह निशुल्क किताब ले जा सकते हैं और बच्चे एक दूसरे से अपनी किताब एक्सचेंज भी कर लेते हैं।
प्लास्टिक बोतल बैंक : इसमें कूड़े में आई प्लास्टिक की बोतल होती है। निवासियों से अपील करते है कि, अपने घर में प्रयोग करने के बाद प्लास्टिक बोतलों को कूड़े में न फेंके। उन प्लास्टिक बोतलों को हमको एक बैंक के तौर पर जमा करते हैं और बोतलों से बोतल बेंच बनाते हैं। पौधे लगाकर उनको पुनः प्रयोग में लाते हैं, जिससे कूड़ा घर पर कूड़े में कमी आती है।
वेस्ट मैटीरियल बैंक : घरों से निकला कोई भी बेकार सामान यहां पर जमा होता है। जैसे घरों में काम कराने के दौरान टॉयलेट सीट, वाशबेसिन सीट और पेंट के डब्बे यहां पर जमा हो जाते है। जो भी मटेरियल काम के दौरान बचता है या घरों से निकलता है, उस मैटेरियल से हम जगह-जगह बैठने के लिए बेंच और गमले बनाते हैं।
दवा बैंक : लोग दवाइयां खरीदते रहते हैं। जो भी दवाइयां बच जाती है। उनको यहां पर जमा कर दिया जाता है। सोसाइटी के गेट पर नोएडा लोक मंच की सहायता से एक बॉक्स लगाया गया है। जहां पर लोग अपने घर में बची हुई दवाइयां देते है और फिर वहां से दवा बैंक में भेज दी जाती है।
बर्तन बैंक : बर्तन बैंक की शुरुआत 2019 में की। इसमें सभी निवासियों से चंदा लिया गया। एक थाली, गिलास और चम्मच के लगभग 350 बर्तन के सेट तैयार किए गए। अब किसी निवासी या सोसाइटी के जितने भी सामूहिक कार्यक्रम होते हैं। उन सभी में इन बर्तनों का प्रयोग किया जाता है। बर्तन बैंक से बर्तन निशुल्क मिलते है। जिन्हें कोई भी निवासी निशुल्क यहां से ले जा सकता है।
इन सभी बैंक के बन जाने से अधिकांश सामग्री जिसे हम कूड़ा समझकर फेंक देते है। उसका हम पुनः प्रयोग कर रहे है। पवन यादव का कहना है कि, ऐसे छोटे-छोटे स्टेप से हमारा शहर स्वच्छ और सुंदर बनेगा। जब हम सब मिलकर करेंगे तो निश्चित ही हजारों टन कूड़ा प्रतिवर्ष हम कूड़े घर पर जाने से रोक सकते हैं।