पाटलिपुत्र की गद्दी पर एनडीए काबिज, एक एक वोट की गिनती तक सांस थमी रही

मंगलवार की आधी रात को साफ हो गया कि बिहार की सत्ता पर एनडीए ही काबिज होने जा रहा है। चुनावी नतीजों में एनडीए की झोली में 126 और महागठबंधन के खाते में 112 सीटें आईं।

पाटलिपुत्र की गद्दी पर एनडीए काबिज, एक एक वोट की गिनती तक सांस थमी रही
बिहार चुनाव में एनडीए ने मारी बाजी 
मुख्य बातें
  • बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एनडीए के खाते में 126 सीटें, महागठबंधन के खाते में 112 सीटें
  • बिहार में किसी भी दल या गठबंधन को सरकार बनाने के लिए 122 सीट का होना जरूरी
  • बिहार विधानसभा की मतगणना में करीब चार करोड़ 16 लाख वोटों की हुई गिनती

पटना। 2020 का बिहार विधानसभा चुनाव कई मायनों में खास है। कोरोना काल में हुए इस मेगा चुनाव में जनता ने एक बार फिर एनडीए एक बार फिर पाटलिपुत्र की गद्दी पर काबिज होने का मौका दिया। कांटे की टक्कर में तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले महागठबंधन की पराजय हुई। एनडीए 126 सीट के साथ 122 के मैजिक फिगर को पार गया। लेकिन 10 सीटें कम होने की वजह से महागठबंधन नीतीश कुमार से सत्ता नहीं छीन सका। इसके अलावा यह मतगणना सांस रोकने वाला था। 

पहले महागठबंधन ने बनाई बढ़त, फिर एनडीए आगे निकला
मंगलवार की सुबह 8 बजे पहले पोस्टल वोटों की गिनती के साथ जब ईवीएम खुलने लगे तो महागठबंधन ने बढ़त बना ली थी और उसका असर एनडीए खेमे पर साफ नजर आ रहा था। एनडीए खेमे में जहां एक तरफ मायूसी थी वहीं महागठबंधन खेमा उत्साह से लबरेज था। लेकिन करीब 10.30 के आसपास हालात में तेजी से बदलाव आया और एनडीए ने बढ़त बना ली। एनडीए की बढ़त का कारवां बढ़ता गया। लेकिन कोई भी दल निश्चित तौर पर कुछ कह पाने के हालात में नहीं था तो उसके पीछे वजह साफ थी। बिहार की जनता ने जिस तरह से मतदान किया उसकी वजह से ज्यादातर सीटों पर पहले और दूसरे उम्मीदवार के बीच फासला बेहद ही कम था। 

इन दलों को मिले इतनी सीटें
आरजेडी- 75
बीजेपी-74
जेडीयू-43
कांग्रेस-19
एलजेपी-1
अन्य- 31

एनडीए की बढ़त थी बरकरार लेकिन सांस थमी रही
बिहार में मतगणना में ज्यादा समय लगा। चुनाव आयोग के मुताबिक करीब चार करोड़ 16 लाख वोटों की गिनती होनी थी। कोविड की वजह से इस बार बूथ और ईवीएम की संख्या बढ़ाई गई थी. लिहाजा नतीजों के आने में देरी हो रही थी। इस बीच आरजेडी के नेताओं में सर्टिफिकेट में देरी और इसके अतिरिक्त तरह तरह के इल्जाम लगाए जिस पर चुनाव आयोग ने रात 10 बजे सफाई दी कि आयोग स्वतंत्र है किसी का किसी तरह से दबाव नहीं है। अगर किसी भी राजनीतिक दल के मतदाता को लगता है कि वो संतुष्ट नहीं है तो आयोग के सामने अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है। 

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