जमानत मिलने के 10 दिनों बाद भी जेल से रिहा नहीं हो सके लालू प्रसाद यादव, ये है वजह

पटना समाचार
भाषा
Updated Apr 27, 2021 | 23:01 IST

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को को झारखंड हाईकोर्ट से बेल मिल गई है फिर भी जेल से रिहा नहीं हो सके हैं।

Lalu Prasad Yadav could not be released from jail even after 10 days of getting bail, this is the reason
लालू प्रसाद यादव 
मुख्य बातें
  • लालू को झारखंड हाई कोर्ट से 17 अप्रैल को जमानत मिल गई थी।
  • चारा घोटाले से संबंधित अन्य मामलों में लालू को पहले ही जमानत मिल चुकी है।
  • लालू यादव 23 दिसंबर 2017 से जेल में हैं।

रांची : बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू प्रसाद यादव बार काउंसिल द्वारा अदालती कार्य से दूरी बनाने की वजह से झारखंड हाईकोर्ट से जमानत मिलने के 10 दिन बाद भी जेल से बाहर नहीं आ सके हैं। हाई कोर्ट ने यादव को 17 अप्रैल को दुमका कोषागार से गबन करने के मामले में जमानत दे दी थी। इसी के साथ पूर्व केंद्रीय मंत्री का जेल से बाहर आने का मार्ग प्रशस्त हो गया था, क्योंकि चारा घोटाले से संबंधित अन्य मामलों में यादव को पहले ही जमानत मिल चुकी है।

झारखंड स्टेट बार काउंसिल ने राज्य में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए पूरे राज्य के अधिवक्ताओं को दो मई तक सभी प्रकार के न्यायिक कार्यों से दूर रहने का निर्देश जारी किया है जिसके चलते सीबीआई की विशेष अदालत में जमानती मुचलका भरने और लालू की रिहाई के आदेश लेने की कार्यवाही पूरी नहीं की जा सकी है और तीन मई तक इसकी संभावना भी नहीं दिख रही है।

राजद प्रमुख यादव के अधिवक्ता प्रभात कुमार ने बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री के लिए जमानत का मुचलका सीबीआई की विशेष अदालत में भरा जाना है, लेकिन स्टेट बार काउंसिल के निर्देश के कारण अधिवक्ता न्यायिक कार्य में शामिल नहीं हो रहे हैं, ऐसे में यादव का जमानती मुचलका नहीं भरा जा सका है। उन्होंने कहा कि जब तक बार काउंसिल की ओर से अदालती कार्यवाही में अधिवक्ताओं के शामिल होने पर लगी रोक हटाई नहीं जाएगी, तब तक यादव के न्यायिक हिरासत से बाहर आने की संभावना नहीं है।

काउंसिल ने 18 अप्रैल को बैठक कर कोरोना संक्रमण में बड़ी संख्या में अधिवक्ताओं एवं न्यायिक कार्यों में लगे अन्य कर्मचारियों के संक्रमित होने और उनकी मौत पर गहरी चिंता जतायी थी और उनके इलाज के लिए राज्य में सुविधाओं की कमी का उल्लेख करते हुए एवं कोविड-19 की संक्रमण की कड़ी को तोड़ने के उद्देश्य से एक सप्ताह के लिए सभी प्रकार के न्यायिक कार्य से दूर रहने का फैसला किया था।

बार काउंसिल के सचिव राजेश पांडेय ने बताया कि बाद में 25 अप्रैल की बैठक में एक बार फिर बार काउंसिल ने राज्य के सभी अधिवक्ताओं एवं उनके मातहत कार्य करने वाले कर्मचारियों को दो मई तक अपने न्यायिक कार्य से दूर रहने का निर्देश दिया। पांडेय ने बताया कि अब बार काउंसिल दो मई की अपनी बैठक में तीन मई से न्यायिक कार्य शुरू करने अथवा उससे दूर रहने के बारे में कोई फैसला लेगा।

यादव को दुमका कोषागार मामले में झारखंड उच्च न्यायालय से 17 अप्रैल को जमानत मिल गई थी। उस समय उनके अधिवक्ता देवर्षि मंडल ने विश्वास व्यक्त किया था कि यादव की ओर से 19 अप्रैल को सीबीआई की विशेष अदालत में जमानती मुचलका भर दिया जाएगा और वह न्यायिक हिरासत से रिहा हो जाएंगे।

देवघर कोषागार से लगभग 89 लाख रुपए की राशि के गबन के मामले में यहां सीबीआई की विशेष अदालत द्वारा दोषी ठहराये जाने के बाद से यादव 23 दिसंबर 2017 से जेल में हैं। उन्हें चारा घोटाले से संबंधित अन्य तीन मामलों में पहले ही जमानत मिल चुकी है। 73 वर्षीय यादव न्यायिक हिरासत में दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में अपना इलाज करा रहे हैं।

पढ़िए Patna के सभी अपडेट Times Now के हिंदी न्यूज़ वेबसाइट -Times Now Navbharat पर। साथ ही और भी Hindi News के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें।

अगली खबर