पटना : भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बिहार में नई सरकार के गठन से पहले विधायक मंडल के नेता पद पर तार किशोर प्रसाद और उप नेता पद पर रेणु कुमार का चयन कर सभी को चौंका दिया है। विधायक मंडल के नेता के पद से सुशील कुमार की छुट्टी हो गई है। सियासी गलियारों में चर्चा है कि नीतीश सरकार में इस बार भाजपा की ओर से दो मुख्यमंत्री हो सकते हैं। बताया जाता है कि पार्टी तार किशोर और रेणु कुमार को उप मुख्यमंत्री बना सकती हैं। नीतीश कुमार अपने चौथे कार्यकाल के लिए सोमवार की शाम सातवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे।
राजनीतिक समीकरणों को साधने की कोशिश
चुनावी जानकारों का कहना है कि तार किरोश को भाजपा विधायक मंडल का नेता और रेणु कुमार को उपनुता चुनकर भगवा पार्टी ने अपनी भविष्य की रणनीति एवं सियासी समीकरणों को साधने की कोशिश की है। चुनाव के बाद बाद उभरे राजनीतिक एवं चुनावी परिदृश्य को देखते हुए भाजपा ने सुशील मोदी को उनके पद से हटाना उचित समझा है।
वैश्य समुदाय से आते हैं तार किशोर
प्रदेश की राजनीति में तार किशोर चर्चित चेहरे नहीं रहे हैं। विधायक मंडल के नेता पर उनके चयन को चुनावी विशेषज्ञ वैश्य समुदाय पर भाजपा को अपनी पकड़ बनाए रखने की कोशिश के रूप में देख रहे हैं। सुशील मोदी वैश्य समुदाय से आते हैं। चुनाव में इस समुदाय का अच्छा-खासा वोट बैंक है। वैश्व समुदाय पिछड़ा वर्ग से आता है और तार किशोर पिछड़ा वर्ग के कलवार जाति से आते हैं। सीमांचल इलाके से आने वाले तार किशोर ने पार्टी को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई है और इस समुदाय में उनका अच्छा प्रभाव है। 52 वर्षीय तार किशोर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से भी जुड़े रहे हैं। वह कटिहार सीट पर 2005 से चुनाव जीतते आए हैं।
नोनिया जाति से आती हैं रेणु कुमार
बेतिया से विधायक रेणु कुमार को भाजपा विधानमंडल की उपनेता चुना गया है। रेणु कुमार नोनिया जाति से आती है। यह जाति अत्यंत पिछड़ा वर्ग में शामिल है। रेणु कुमार बेतिया से चौथी बार विधायक बनी हैं और वह नीतीश के दूसरे कार्यकाल में मंत्री भी रह चुकी हैं। भाजपा रेणु कुमार के जरिए राज्य के महिलाओं के बीच एवं बिंद, मल्लाह, तुरहा जैसे अत्यंत पिछड़े वर्ग में अपनी पकड़ मजबूत बनाए रखना चाहती है।
बिहार में 'बड़े भाई' की भूमिका में आई भाजपा
गत मंगलवार को आए चुनाव नतीजों में एनडीए की जीत हुई है। जबकि एनडीए में शामिल भाजपा 74 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है। जेडी-यू को इस चुनाव में 43 सीटों पर जीत मिली है। एनडीए में सबसे ज्यादा सीटें जीतकर 'बड़े भाई' की भूमिका में आने वाली भाजपा की प्रदेश की राजनीति में दबदबा बढ़ना तय माना जा रहा है। नीतीश मंत्रिमंडल में इस बार उसके कोटे से मंत्रियों की संख्या भी ज्यादा रहने वाली है।
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