Uranium in Water: अब पानी में यूरेनियम की होगी जांच, इसके लिए लगाई जाएगी फ्लूरोमीटर मशीन

uranium in water: राजधानी समेत कई जिलों के पानी में खतरनाक रसायनिक चीजें पाई जाती हैं। इसे पीने से लोगों के स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है। ऐसे में पानी को रसायनमुक्त करने की तैयारी हो गई है।

Uranium in Water
यूरेनियम वाले पानी से कैंसर का खतरा  |  तस्वीर साभार: Twitter
मुख्य बातें
  • जिलों में पानी की गुणवत्ता परखी जाएगी
  • केंद्रीय लैब में रसायनिक तत्वों की जांच की जानी है
  • जांच बाद कमियां की जाएंगी दूर

Uranium in Water: पटना सहित कई जिलों में पानी की जांच होगी। इसमें यूरेनियम की मात्रा का पता लगाया जाएगा। इसकी पूरी तैयारी कर ली गई है। पीएचईडी ने केंद्रीय लैब में यूरेनियम की जांच के लिए फ्लूरोमीटर मशीन लगाने का निर्णय लिया है। इस मशीन की मदद से पानी में यूरेनियम की मात्रा में है, उसका पता चल सकेगा। 

पानी की गुणवत्ता की जांच होने के बाद उसके निस्तारण का भी प्रयास होगा। मशीन की खरीद के लिए विभाग ने कोटेशन बना लिया है। अधिकारी के अनुसार दो महीने के भीतर पानी की भी जांच शुरू कर दी जाएगी। पूर्व में पानी में यूरेनियम की जांच के लिए सैंपल को केंद्र भेजा जा रहा है। वहां से रिपोर्ट में आने में काफी देरी होती है। 

यूरेनियम वाले पानी से कैंसर का खतरा
डॉक्टरों के मुताबक पानी में यूरेनियम की मात्रा पाए जाने से कैंसर का खतरा है। इसके अलावा कई गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। यहां तक की पानी में ज्यादा मात्रा में यूरेनियम होने पर जान जाने का भी खतरा है। डॉक्टरों ने बताया कि पानी में प्रति लीटर 0.03 मिलीग्राम यूरेनियम होने की आशंका है। वहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ के अनुसार पानी में 30 माइक्रोग्राम प्रत लीटर यूरेनियम होना चाहिए। इससे अधिक मात्रा होना जान के लिए खतरनाक है। 

डीएनए में भी करता है गड़बड़ी
पानी में यूरेनियम की मात्रा ज्यादा होने से कैंसर के अलावा डीएनए में भी गड़बड़ी करता है। इतना ही नहीं दिव्यांगता, बांझपन, नपुंसकता आदि हो सकती है। इस बारे में पटना स्थित एएन कॉलेज के पर्यावरण विभाग के अध्यक्ष डॉ. तृत्पि गंगवार ने बताया कि यूरेनियम इंसान के अलावा पशु-पक्षी, पेड़-पौधों के लिए भी खतरनाक है। पानी में अधिक मात्रा होने से पेड़-पौधों को भी हानि पहुंचती है। 

फिलहाल 38 जिलों में हैं 115 लैब
विभागीय अधिकारी के मुताबिक सूबे के 38 जिलों में 115 लैब हैं। सरकार ने राज्य स्तर के अलावा जिला स्तर एवं प्रमंडलीय स्तर पर लैब बनवाई है। यहां पानी की गुणवत्ता की जांच की जाती है। 

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