Ranchi Health News: रांची वालों के लिए खुशखबरी, अब रिम्स में ऑर्टिक सर्जरी भी होने लगी, निशुल्क मिलेगा इलाज

Good News: राजधानी में अब जटिल चीजों की भी सर्जरी शुरू हो गई है। लोगों को निजी अस्पतालों में मोटी रकम खर्च नहीं करनी पड़ेगी, न दूसरे शहर में इलाज कराने के लिए जाना पड़ेगा।

Complex aortic surgery now started in RIMS
रिम्स में अब शुरू हुई जटिल एऑर्टिक सर्जरी   |  तस्वीर साभार: Twitter
मुख्य बातें
  • 29 वर्षीय गणेश राम की हुई ऑर्टिक सर्जरी
  • कॉर्डियोलॉजी विभाग के हेड डॉ. विनीत महाजन के नेतृत्व में हुआ ऑपरेशन
  • रोगी की मुख्य धमनी के एक हिस्से को बदला गया

Aortic Surgery: रिम्स में अब जटिल रोगों की सर्जरी बेहद आसानी से हो रही है। इस पर सीटीवीएस विभाग लगातार काम कर रहा है। अब कॉर्डियोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. विनीत महाजन के नेतृत्व में डॉक्टरों ने 29 साल के गणेश राम की मुख्य धमनी का एक हिस्सा निकाल दिया है। पहली बार रिम्स में इस तरह का ऑपरेशन किया गया है। इस सर्जरी में डॉ.अंशुल और डॉ.राकेश चौधरी भी थे। डॉ. विनीत महाजन ने बताया कि 4 से 5 लाख लोगों में यह बीमारी होती है। 

इस बारे में डॉ. विनीत ने बताया कि मरीज की मुख्य धमनी में सूजन था। हृदय की मुख्य धमनी से सूजन निकलकर ऊपर दिमाग की नसों तक पहुंच गया था। हार्ट लंग मशीन पर रखकर मरीज की सर्जरी की जाती है। डॉक्टरों का दावा है कि रिम्स के अलावा किसी अस्पताल में यह ऑपरेशन संभव नहीं था। दूसरे राज्यों के निजी अस्पताल में सर्जरी कराने पर 10 लाख से 12 लाख रुपए का खर्च आता। जबकि रिम्स में यह सर्जरी निशुल्क किया गया है। 

गणेश राम को बचपन से थी यह बीमारी 

डॉ. विनीत का कहना है कि बचपन से मरीज को यह बीमारी रही होगी। हालांकि मरीज को इसकी जानकारी छह महीने ही हुई थी। इस पर हजारीबाग के डॉक्टर ने मरीज को रिम्स में रेफर किया था। जब रिम्स के कार्डियोलॉजी विभाग में एनजियोग्राफी में सूजन होने की जानकारी हुई। इस पर डॉक्टरों ने सर्जरी की। डॉ. अंशुल और डॉ. राकेश चौधरी ने बताया कि 6 घंटे तक यह सर्जरी चली है। सूजन क्रिकेट बॉल के आकार का था। अगर समय रहते सर्जरी नहीं होती तो मरीज की जान पर बन सकती थी। 

सर्जरी के 2 घंटे बाद वेंटिलेटर से मरीज हटाया गया

डॉ. विनीत ने बताया कि सफल सर्जरी के 2 घंटे बाद ही मरीज को वेंटिलेटर से हटा दिया गया। अब मरीज बिल्कुल स्वस्थ है। किसी भी तरह की समस्या होने पर मरीज को डॉक्टरों की टीम इलाज करेगा। डॉक्टरों की टीम उन पर लगातार नजर बनाई हुई है। 

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