Ranchi Contaminated Water: रांची के लोग अब नहीं पीएंगे दूषित या गंदा पानी, 70 लाख से आई 4 मशीनों से होगी जांच

Ranchi Contaminated Water: रांची के लोगों को अब दूषित पानी नहीं पीना पड़ेगा। पानी की गुणवत्ता की उन्हें जानकारी मिल जाएगी। इसके बाद पानी के कारण होने वाली बीमारियों से बच सकेंगे। इस दिशा में सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ रांची एवं अन्य शैक्षणिक संस्थानों की मदद से यह काम होना है।

Ranchi Contaminated Water
रांची में लोगों को अब पानी के घातक तत्वों का चलेगा पता  |  तस्वीर साभार: Twitter
मुख्य बातें
  • 70 लाख रुपए से मंगवाए गए हैं चार उपकरण
  • चार उपकरणों में ऑटोमेटेड वेदर स्टेशन बनाया जाना बाकी है
  • एटोमिक एबजार्पशन स्पेक्ट्रोफोटोमीटर, माइक्रोस्कोप और पाली हाउस मिक्स्ड चैंबर की हो चुकी है खरीदारी

Ranchi Contaminated Water: जल प्रबंधन की दिशा में रांची में बड़ा कदम उठाया गया है। इस क्षेत्र में सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ झारखंड रांची और आईआईटी-आईएसएम धनबाद की मदद से यह काम होना है। इसमें जल प्रबंधन के अलावा निर्धारित किया जा रहा है कि पानी में प्रदूषित तत्वों की मात्रा कितनी है। इसके लिए चार उपकरण सीयूजे खरीदे गए हैं। इनकी खरीदारी 70 लाख रुपए से की गई है। यहां राज्य भर से वाटर सैंपल की जांच की जा सकेगी। 

इसके लिए निर्धारित मानक के मुताबिक काम भी शुरू हो गया है। वैसे चार उपकरणों में ऑटोमेटेड वेदर स्टेशन का बनना बचा है। वहीं, एटोमिक एबजार्पशन स्पेक्ट्रोफोटोमीटर, माइक्रोस्कोप और पाली हाउस मिक्सड चैंबर खरीद लिए गए हैं। 

एक महीने में पूरा हो जाएगा ऑटोमेटेड वेदर स्टेशन का निर्माण

अधिकारियों का कहना है कि एक महीने के अंदर ऑटोमेटेड वेदर स्टेशन का निर्माण कार्य पूरा करा लिया जाएगा। बता दें सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ झारखंड रांची में पिछले कई महीनों से शोधार्थी जल प्रबंधन एवं जल संरक्षण की दिशा में काम कर रहे हैं। इस पर कुलपति प्रो. क्षिति भूषण दास ने भी गंभीरता दिखाई है। 

पहले चरण में होगी वाटर सैंपलिंग

आईआईटी-आईएसएम धनबाद और सीयूजे विज्ञान और प्रौद्योगिक विभाग की मदद से शोध चल रहा है। पानी से होने वाली बीमारियों से अब लोगों को राहत मिलने की उम्मीद है। सीयूजे के विज्ञानिक डॉ. भास्कर के मुताबिक अब तक सूबे के एक ही दो संस्थानों में ऐसी तकनीक थी। सीयूजे में इन तकनीक एवं उपकरणों से कई काम किए जाने हैं। पहले चरण में वाटर सैंपलिंग का काम किया जाना है। इसके बाद एक डाटा तैयार कर यह बताया जाएगा कि किस क्षेत्र के पानी में कितने घातक तत्व हैं। 

30 लोगों को दी जा रही जल प्रबंधन की ट्रेनिंग

अभी इस संस्थान में झारखंड के अलावा ओडिशा के प्रतिभागियों को मिलाकर 30 लोगों को जल प्रबंधन की ट्रेनिंग दी जा रही है। सीयूजे के विज्ञानी डॉ. भास्कर का कहना है कि उपकरणों के माध्यम से वाटर सैंपलिंग बेहद आसान हो जाएगी। इससे पानी में घुले घातक तत्वों की जानकारी आम लोगों को मिल सकेगी। 

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