Ranchi Health News: रांची में खुलेगा सूबे का पहला ओरल कैंसर डिटेक्शन क्लिनिक, लाखों लोगों को होगा फायदा

oral cancer detection: झारखंड के लोगों के लिए अच्छी खबर है। सूबे का पहला ओरल कैंसर डिटेक्शन सेंटर खुल रहा है। 31 मई को नो-टोबैको डे पर इसका उद्घाटन किया जाना है।

Oral cancer detection clinic opening in RIMS
रिम्स में खुल रहा ओरल कैंसर डिटेक्शन क्लिनिक  |  तस्वीर साभार: Twitter
मुख्य बातें
  • रिम्स के डेंटल कॉलेज में इस सेंटर की हो रही है शुरुआत
  • इस सेंटर में ओरल कैंसर मरीजों की जांच-स्क्रीनिंग के बाद इलाज भी किया जाएगा
  • सेंटर के खुलने से ओरल कैंसर के मरीजों की सही समय पर हो सकेगी पहचान

Ranchi Health News: राजधानी रांची में झारखंड का पहला ओरल कैंसर डिटेक्शन क्लिनिक खोला जा रहा है। यह क्लिनिक रिम्स स्थित डेंटल कॉलेज में चलाया जाएगा। इस सेंटर के खुल जाने से मुंह के कैंसर के मरीजों की सही समय पर पहचान हो सकेगी और उनका समुचित इलाज भी हो सकेगा। नो टोबैको डे यानी 31 मई को यह केंद्र शुरू कर दिया जाएगा। 

इस सेंटर पर मुंह के कैंसर मरीजों की जांच, स्क्रीनिंग होगी और उनका इलाज भी किया जाएगा। क्लिनिक को डेंटल कॉलेज के डिपार्टमेंट ऑफ ओरल मेडिसन,डिपार्टमेंट ऑफ डेंटेस्ट्री और डिपार्टमेंट ऑफ ओरल पैथोलॉजी के विशेषज्ञ डॉक्टर चलाएंगे। 

झारखंड एवं पड़ोसी राज्यों में ज्यादा होता है तंबाकू का सेवन

बता दें झारखंड एवं इसके आस—पास के सूबे में तंबाकू एवं तंबाकू के उत्पादों की बिक्री और सेवन ज्यादा होता है। इस कारण इन सूबे में कैंसर के मरीजों की संख्या काफी अधिक है। इनमें से अधिकांश मरीज एडवांस स्टेज में पहुंचने के बाद अस्पताल पहुंचते हैं। फिर इनके इलाज के लिए डॉक्टर के पास ज्यादा विकल्प नहीं होता है। अब इस ओरल कैंसर डिटेक्शन क्लिनिक के खुलने से सही समय पर कैंसर मरीजों की पहचान हो पाएगी। इस सेंटर में कॉर्डियोलॉजी और पल्मोनोलॉजी विभाग के डॉक्टरों को शामिल किया जाएगा। 

रिम्स में चल रहा विशेष क्लिनिक

धूम्रपान की लत छुड़ाने के लिए रिम्स में विशेष क्लिनिक चलाया जाएगा। यहां स्मोकिंग सजेशन क्लिनिक में डॉ. अर्पिता राय, डॉ. प्रशांत और डॉ. अमित मरीजों को परामर्श देते हैं। इन डॉक्टरों की कोशिश रहती है कि नशे की लत लोग 15 से 20 दिनों में धूम्रपान छोड़ दें। 

ग्रामीण क्षेत्रों में तंबाकू का हो रहा ज्यादा इस्तेमाल

रिम्स के डेंटल क्लिनिक के प्राचार्य डॉ. आशीष जैन ने कहा कि सूबे के ग्रामीण क्षेत्र में तंबाकू का उपयोग अधिक होता है। शिक्षा एवं जागरुकता के बिना मुंह के घाव और अन्य समस्या को लोग लापरवाही से लेते हैं। इस कारण मरीज गंभीर स्थिति में पहुंच जाता है। फिर उनका इलाज बेहद मुश्किल हो जाता है। 

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