Career In Pediatrics: अगर बच्‍चे हैं पसंद तो पीडियाट्रिक बनकर बना सकते हैं शानदार करियर, देश में है भारी डिमांड

Career In Pediatrics: देश में आज भी पीडियाट्रिक या बाल रोग चिकित्सक की भारी कमी है। मेडिकल में यह एक ऐसा फील्‍ड है जहां पर शानदार करियर बनाने की अपार संभावनाएं हैं। अगर आपको भी बच्‍चों से प्‍यार है तो एक पीडियाट्रिक के तौर पर करियर बना सकते हैं...

Career In Pediatrics
पीडियाट्रिक बनने के लिए जरूरी कोर्स और करियर ऑप्‍शन   |  तस्वीर साभार: Representative Image
मुख्य बातें
  • देश में आज भी जरूरत से बेहद कम हैं पीडियाट्रिक की संख्‍या
  • एमबीबीएस के बाद कर सकते हैं बाल चिकित्सा में एमडी
  • पीडियाट्रिक बनने के लिए कई पर्सनल स्किल का होना जरूरी

Career In Pediatrics: मेडिकल के क्षेत्र में कई ऐसे फील्‍ड हैं, जहां पर आज भी डॉक्‍टरों की आज भी भारी कमी है। इसमें से ही एक है पीडियाट्रिक या बाल रोग चिकित्सक का फील्‍ड। यह मेडिकल साइंस की वह शाखा है, जहां पर खासतौर से बच्चों के विभिन्‍न रोगों के निदान और उपचार पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। बाल रोग विशेषज्ञ बच्चों की बीमारी का इलाज करने के साथ उनके सही विकास पर भी पूरा ध्यान केंद्रित करते हैं। वे सलाह देते हैं कि बच्चों की देखभाल कैसे किया जाए और किसी बीमारी के दौरान किसी तरह से ध्‍यान रखा जाए। बाल रोग विशेषज्ञ बच्‍चों के व्यवहार और शारीरिक विकास व विकारों की पहचान कर उसके रोकथाम और प्रबंधन का कार्य करते हैं। अगर आप मेडिकल लाइन में करियर बनाना चाहते हैं और बच्चों से प्‍यार करते हैं और आप पीडियाट्रिक बन सकते हैं।

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पीडियाट्रिक के लिए जरूरी एजुकेशन

इस फील्‍ड में करियर बनाने के लिए साइंस सब्‍जेक्‍ट के साथ 12वीं पास करना जरूरी है। इसके बाद एमबीबीएस कोर्स के लिए होने वाले प्रवेश परीक्षा का क्‍लीयर करना पड़ेगा। छात्र किसी भी मान्यता प्राप्त मेडिकल कॉलेज या विश्वविद्यालयों से एमबीबीएस की डिग्री पूरी करने के बाद बाल चिकित्सा में एमडी (डॉक्टर ऑफ मेडिसिन) की डिग्री ले सकते हैं। कोर्स पूरा कर आप एक पीडियाट्रिक के तौर पर अपना करियर शुरू कर सकते हैं। वहीं अगर चाहें तो इसके आगे भी अपनी पढ़ाई जारी रख सकते हैं और एंडोक्रिनोलॉजी, इम्यूनोलॉजी, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, ऑन्कोलॉजी आदि में विशेषज्ञता कर सकते हैं।

करियर के लिए जरूरी पर्सनल स्किल

पीडियाट्रिक बनने के लिए सिर्फ डिग्री की ही जरूरत नहीं पड़ी है, कई तरह के पर्सनल स्किल का होना भी जरूरी होता है। इस फील्‍ड में आने के लिए धैर्य होने के साथ अच्‍छा कम्युनिकेशन स्किल का होना भी बहुत जरूरी है। वहीं सबसे ज्‍यादा जरूरी बच्‍चों की भावनाओं को पहचाने के के साथ आर्ब्जवर स्किल्स भी होना चाहिए। क्योंकि एक पीडियाट्रिक अपने ऑर्ब्जवेशन के आधार पर ही डायग्नोस और उपचार करते हैं।

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करियर स्‍कोप

पीडियाट्रिक का फील्‍ड शानदार करियर स्‍कोप प्रदान करता है। देश में आज भी इनकी भारी कमी है। कोर्स पूरा करने के बाद बतौर पीडियाट्रिक किसी भी निजी और सरकारी अस्पतालों में काम किया जा सकता है। इसके अलावा खुद का क्लीनिक खोल कर भी कार्य किया जा सकता है। वहीं मेडिकल कॉलेजों या प्रशिक्षण संस्थानों में शिक्षण का विकल्प भी मैजूद रहता है। बच्‍चों से जुड़े रोगों के कारणों व निदान पर होने वाले रिसर्च में भी पीडियाट्रिक की भारी डिमांड है।

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