यरूशलम : हिब्रू विश्वविद्यालय के एक शोधकर्ता ने दावा किया है कि बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होने वाली कोलेस्ट्रॉल रोधी दवा 'फेनोफाइब्रेट' कोरोना वायरस संक्रमण के खतरे के स्तर को सामान्य जुकाम के स्तर का करने में मददगार है। यह दावा संक्रमित मानव कोशिका पर दवा के इस्तेमाल के बाद किया गया।
विश्वविद्यालय के ग्रास सेंटर ऑफ बायोइंजीनियरिंग में निदेशक प्रोफेसर याकोव नाहमियास ने न्यूयॉर्क के माउंट सिनाई मेडिकल सेंटर में बेंजामिन टेनोएवर के साथ संयुक्त शोध में पाया कि नोवेल कोरोना वायरस इसलिए खतरनाक है क्योंकि इसके कारण फेफड़ों में वसा का जमाव हो जाता है, जिसे दूर करने में फेनोफाइब्रेट मददगार है।
विश्वविद्यालय की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में नाहमियास की ओर से कहा गया, 'हम जिस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं यदि उसकी पुष्टि नैदानिक शोधों में भी होती है तो इस उपचार से कोविड-19 का जोखिम कम हो जाएगा और यह सामान्य जुकाम की तरह हो जाएगा।'
उन्होंने कहा, 'इसीलिए मधुमेह और उच्च कोलेस्ट्रॉल से पीड़ित लोगों के कोविड-19 की चपेट में आने की आशंका अधिक होती है।' फेनोफाइब्रेट फेफड़ों की कोशिकाओं को वसा जलाने में मदद करती है और इस तरह इन कोशिकाओं पर वायरस की पकड़ कमजोर हो जाती है। शोधकर्ताओं ने दावा किया कि इस दिशा में महज पांच दिन तक किए गए उपचार से वायरस लगभग पूरी तरह गायब हो गया।
विश्वविद्यालय ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोरोना वायरस से बचाव के लिए टीका विकसित करने के कई प्रयास चल रहे हैं लेकिन शोध बताते हैं कि टीके से मरीज का इस संक्रमण से बचाव महज कुछ महीनों के लिए ही होता है। इसलिए कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में वायरस के हमले से बचाने से कहीं अधिक आवश्यक वायरस को बढ़ने से रोकना है।