कोरोना के जोखिम को कम करती है कोलेस्ट्रॉल की दवा! वैज्ञानिकों का चौंकाने वाला दावा

साइंस
भाषा
Updated Jul 15, 2020 | 15:02 IST

Coronavirus research: कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच वैज्ञानिकों ने चौंकाने वाला दावा किया है, जिसके मुताबिक, कोलेस्ट्रॉल रोधी दवा 'फेनोफाइब्रेट' से कोविड-19 के जोखिम को कम करने में मददगार है।

कोरोना के जोखिम को कम करती है कोलेस्ट्रॉल की दवा! वैज्ञानिकों का चौंकाने वाला दावा
कोरोना के जोखिम को कम करती है कोलेस्ट्रॉल की दवा! वैज्ञानिकों का चौंकाने वाला दावा  |  तस्वीर साभार: AP, File Image
मुख्य बातें
  • कोलेस्ट्रॉल रोधी दवा 'फेनोफाइब्रेट' को कोरोना की रोकथाम में अहम बताया जा रहा है
  • वैज्ञानिकों का कहना है कि यह दवा फेफड़ों में वसा के जमाव को रोकने में मददगार है
  • शोधकर्ताओं का दावा है कि इससे महज पांच दिनों में वायरस पूरी तरह गायब हो गया

यरूशलम : हिब्रू विश्वविद्यालय के एक शोधकर्ता ने दावा किया है कि बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होने वाली कोलेस्ट्रॉल रोधी दवा 'फेनोफाइब्रेट' कोरोना वायरस संक्रमण के खतरे के स्तर को सामान्य जुकाम के स्तर का करने में मददगार है। यह दावा संक्रमित मानव कोशिका पर दवा के इस्तेमाल के बाद किया गया।

विश्वविद्यालय के ग्रास सेंटर ऑफ बायोइंजीनियरिंग में निदेशक प्रोफेसर याकोव नाहमियास ने न्यूयॉर्क के माउंट सिनाई मेडिकल सेंटर में बेंजामिन टेनोएवर के साथ संयुक्त शोध में पाया कि नोवेल कोरोना वायरस इसलिए खतरनाक है क्योंकि इसके कारण फेफड़ों में वसा का जमाव हो जाता है, जिसे दूर करने में फेनोफाइब्रेट मददगार है।

'...तो कम हो जाएगा कोरोना का जोखिम'

विश्वविद्यालय की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में नाहमियास की ओर से कहा गया, 'हम जिस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं यदि उसकी पुष्टि नैदानिक शोधों में भी होती है तो इस उपचार से कोविड-19 का जोखिम कम हो जाएगा और यह सामान्य जुकाम की तरह हो जाएगा।'

दोनों शोधकर्ताओं ने देखा कि सार्स-सीओवी-2 स्वयं को बढ़ाने के लिए मरीजों के फेफड़ों में किस तरह से बदलाव करता है। उन्होंने पाया कि वायरस कार्बोहाइड्रेट को जलने से रोकता है जिसके परिणामस्वरूप फेफड़ों की कोशिकाओं में वसा का जमाव हो जाता है और यही परिस्थिति वायरस के बढ़ने के लिए अनुकूल होती है।

ऐसे काम करती है यह दवा

उन्होंने कहा, 'इसीलिए मधुमेह और उच्च कोलेस्ट्रॉल से पीड़ित लोगों के कोविड-19 की चपेट में आने की आशंका अधिक होती है।' फेनोफाइब्रेट फेफड़ों की कोशिकाओं को वसा जलाने में मदद करती है और इस तरह इन कोशिकाओं पर वायरस की पकड़ कमजोर हो जाती है। शोधकर्ताओं ने दावा किया कि इस दिशा में महज पांच दिन तक किए गए उपचार से वायरस लगभग पूरी तरह गायब हो गया।

विश्वविद्यालय ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोरोना वायरस से बचाव के लिए टीका विकसित करने के कई प्रयास चल रहे हैं लेकिन शोध बताते हैं कि टीके से मरीज का इस संक्रमण से बचाव महज कुछ महीनों के लिए ही होता है। इसलिए कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में वायरस के हमले से बचाने से कहीं अधिक आवश्यक वायरस को बढ़ने से रोकना है।

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