नई दिल्ली: भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने ओडिशा के तट से सुपसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस एक लैंड अटैक वर्जन (जमीन पर हमला करने वाली मिसाइल) का सोमवार को सफल परीक्षण किया। डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) के अधिकारियों ने इस परीक्षण के बारे में जानकारी देते हुए कहा कहना है कि सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के एक लैंड अटैक वर्जन का सफल परीक्षण किया गया है।
इस मिसाइल परीक्षण के उद्देश्यों के परिणामों का अध्ययन करने के बाद डीआरडीओ की ओर से सोमवार को बाद में डेटा जारी किया जाएगा। डीआरडीओ ने मिसाइल को रूस स्थित रॉकेट डिजाइन ब्यूरो के साथ मिलकर बनाया है। इस मिसाइल का नाम भारत की ब्रम्हपुत्र और रूस की मस्कवा नदी के नाम पर रखा गया है।
सबसे तेज रफ्तार, अचूक निशाना
ब्रह्मोस दुनिया की किसी भी सेना की ओर से इस्तेमाल होने वाली दुनिया की सबसे तेज और घातक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है। यह दुश्मन के रडार को चकमा देकर दुश्मन के ठिकानों को ध्वस्त कर सकती है। दागो और भूल जाओ की तकनीक पर काम करने वाली ब्रह्मोस 200 किलो का विस्फोटक ले जाने में सक्षम है और यह पारंपरिक विस्फोटक के अलावा अपने साथ परमाणु हथियार भी ले जा सकती है। भारत और रूस के सहयोग से बनी अचूक वार करने वाली ब्रह्मोस मिसाइल का तोड़ फिलहाल चीन और पाकिस्तान के पास नहीं है।
हवा, पानी या आसमान से हो सकती है लॉन्च
ब्रह्मोस दुनिया की एकलौती मिसाइल है जो जमीन, पानी, पानी के अंदर और हवा सभी जगहों से लॉन्च की जा सकती है। इसे नौसेना के जहाज, पनडुब्बी, आर्मी के सैन्य वाहन और भारतीय लड़ाकू विमान सुखोई 30 एमकेआई से दागा जा सकता है। सुखोई की मदद से ब्रह्मोस के सफल परीक्षण के बाद भारतीय वायुसेना दुनिया की अकेली वायुसेना बन गई है जो अपने लड़ाकू विमान से सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल दागने में सक्षम है।
हालिया परीक्षण के बारे में कुछ ज्यादा जानकारी सामने नहींं आई हैं लेकिन रिपोर्ट्स के अनुसार डीआरडीओ लगातार ब्रह्मोस की क्षमता को बढ़ाने पर काम कर रहा है। इसके अलग अलग वर्जन की मारक क्षमता फिलहाल 300 से लेकर 500 किलोमीटर तक है जिसे बढ़ाने पर काम किया जा रहा है। आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल से इसे ज्यादा हल्का और अचूक बनाया जा रहा है।