भारत में कोरोना पर लगाम लगा सकती है गर्मी की चिलचिलाती धूप, सूक्ष्म जीवविज्ञानियों ने समझाई पूरी बात

साइंस
आईएएनएस
Updated Apr 12, 2020 | 16:23 IST

गर्मी और तेज धूप किस हद तक कोरोना वायरस को नियंत्रित कर सकती है इसके बारे में दो हाईप्रोफाइल माइक्रोबॉयोलॉजिस्ट ने पूरी बात समझाई है। इन वजहों से आने वाले दिनों में भारत में वायरस पर लगाम लग सकती है।

Summer Heat can curb the corona
कोरोना पर लगाम लगा सकती है गर्मी 

नई दिल्ली: गर्मियों में चिलचिलाती धूप भारत में कोरोनोवायरस संक्रमण के प्रसार पर लगाम लगा सकती है। देश के दो हाईप्रोफाइल माइक्रोबॉयोलॉजिस्ट ने यह बात कही है, जिन्होंने अमेरिका के मैरीलैंड स्थित दुनिया की सबसे बड़ी बायोमेडिकल रिसर्च एजेंसी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (एनआईएच) के साथ काम किया है। भारतीय सूक्ष्म जीवविज्ञानियों ने कहा कि गर्मियों के दौरान बढ़ता पारा कोरोना प्रसार की उस दर में बदलाव ला सकता है, जिस दर पर घातक कोविड-19 लोगों को संक्रमित करता है।

एनआईएच और 'प्रोजेक्ट एंथ्रेक्स' पर अमेरिकी सेना के लैब के साथ काम कर चुके जाने-माने भारतीय माइक्रोबायोलॉजिस्ट प्रोफेसर वाई. सिंह ने आईएएनएस को बताया कि अप्रैल के अंत तक 40 डिग्री से अधिक का अपेक्षित तापमान कोरोवायरस के प्रभाव को कम कर सकता है।

'सीएसआईआर-इंस्टीट्यूट ऑफ जिनोमिक्स इंटीग्रेटेड बायोलॉजी' में चीफ साइंटिस्ट रहे प्रोफेसर वाई. सिंह ने कहा, 'तापमान में वृद्धि वायरस के प्रसार की दर को बदल सकती है, जो किसी भी सतह या एरोसोल के माध्यम से इंसानों में ट्रांसफर हो जाती है। तापमान अधिक होने पर किसी भी सतह पर वायरस के जीवित रहने की अवधि कम होगी। लेकिन मै स्पष्ट कर दूं कि अगर एक व्यक्ति का शरीर संक्रमित है, तो फिर बाहर के तापमान का संक्रमित व्यक्ति पर कोई प्रभाव नहीं होगा।'

अमेरिका के प्रसिद्ध संक्रामक रोग विशेषज्ञ एंथनी फौसी के साथ काम कर चुके प्रख्यात वायरोलॉजिस्ट डॉ. अखिल सी. बनर्जी का कहना है कि अगर तापमान 39 या 40 डिग्री के आसपास है, तो यह वायरस को निष्क्रिय करने में मदद करता है।

दिल्ली के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनोलॉजी से जुड़े रहे अखिल ने कहा, 'हालांकि, अगर कोई भी व्यक्ति एक कोविड-19 रोगी के बहुत करीब खड़ा है, तो उसे वायरस के जोखिम का खतरा हो सकता है। तापमान एक भूमिका निभाता है, लेकिन फिर भी विज्ञान में हर निष्कर्ष पर, हर अध्ययन डेटा पर आधारित होना चाहिए। हमें वास्तव में इस विषय पर और अधिक डेटा की आवश्यकता है।'

एसोसिएशन ऑफ माइक्रोबायोलॉजिस्ट ऑफ इंडिया (एएमआई) के पूर्व महासचिव प्रोफेसर प्रत्यूष शुक्ला ने आईएएनएस को बताया कि कुछ वैज्ञानिक जून सिद्धांत के बारे में बात कर रहे हैं, जो स्पष्ट रूप से तापमान में वृद्धि से संबंधित है। मैंने हमारे कुछ चीनी सहयोगियों से बात की है और उन्होंने हमें बताया कि इसकी (कोविड-19) प्रतिरोध शक्ति अत्यधिक तापमान को बर्दाश्त नहीं कर सकती है।

उन्होंने कहा, 'आमतौर पर सार्स या फ्लू सहित सभी प्रकार के वायरस का अक्टूबर से मार्च तक अधिकतम प्रभाव होता है। इसका कारण यह है कि तापमान वायरस के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।'

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