नई दिल्ली। इस संसार का आधार तीन शक्तियों ब्रह्मा, विष्णु और महेश में टिका है। एक सृजनकर्ता तो दूसरा पालनकर्ता और तीसरा विनाशकर्ता है। देखा जाए तो विनाश में ही सृजन का आधार है। जन्म लेना किसी के वश में तो है लेकिन मौत वश में नहीं है,जो इस धरती पर आया उसे इस लोक को छोड़कर जाना ही है। भगवान भोलेनाथ के बारे में कहा जाता है कि वो क्षणे रुष्टा, क्षणे तुष्टा के भाव से मर्त्यलोक में विचरण करते हैं। पूरे वर्ष 12 से 13 बार शिवरात्रि मनाई जाती है। लेकिन माघ महीने वाली शिवरात्रि महाशिवरात्रि होती है। यह दिन और दिनों से थोड़ा अलग होता है, इस रात को जागरण की रात भी कहते हैं ताकि जागृति आए।
कर्नाटक के कुछ हिस्सों में इस दिन बच्चे लोगों के घरों पर पत्थर मारते हैं, और ऐसा करना गलत भी नहीं माना जाता है यूं कहें तो अपराध भी नहीं। ये हो सकता है कि जिसके घर पर पत्थर मारे जाते हैं उसकी शोर से वो परिवार परेशान हो। लेकिन महाशिवरात्रि की रात पत्थर मारने से उस शख्स का एक तरह से भला होता है। पूरे वर्ष में करीब 12 से 13 शिवरात्रि होती है। लेकिन माघ महीने वाली शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहते हैं। इस दिन रात में ऊर्जा का संचार सबसे ज्यादा शरीर के निचले भाग से ऊपर की ओर होता है और इससे शरीर व्याधिमुक्त होता है।