Anant Chaturdashi 2022 Mantra: दिव्य हैं भगवान विष्णु के यह मंत्र, जाप करने से ही खुल जाएंगे किस्मत के दरवाजे 

Anant Chaturdashi 2022 Puja Vidhi, Shubh Muhurat, Time, Mantra in Hindi: अनंत चतुर्दशी का पर्व हर वर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की विधि अनुसार पूजा करने की परंपरा है। माना जाता है कि भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करने से भक्तों के सारे दुख-दर्द दूर हो जाते हैं।

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Vishnu Ji Ke Mantra (Pic: iStock) 
मुख्य बातें
  • आज मनाई जा रही है अनंत चतुर्दशी।
  • अनंत चतुर्दशी पर होती है भगवान विष्णु की पूजा।
  • बेहद लाभदाई हैं भगवान विष्णु के मंत्र।

Anant Chaturdashi 2022 Puja Vidhi, Shubh Muhurat, Mantra: भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी अनंत चतुर्दशी के नाम से जानी जाती है। इस तिथि को अनंत चौदस भी कहा जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, इस वर्ष अनंत चौदस का पर्व 9 सितंबर शुक्रवार यानी आज मनाया जा रहा है। भगवान विष्णु को अनंत के नाम से भी पुकारा जाता है और ऐसा माना जाता है कि मध्याह्न के समय श्रीहरि की पूजा करने से भक्तों के सारे दुख दर्द दूर हो जाते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार पांडवों ने कान्हा के कहने पर यह व्रत किया था जिसकी वजह से उन्हें अपना राजपाट वापस मिल गया था। ऐसा कहा जाता है, अनंत चतुर्दशी पर भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करने से सभी मुश्किलें दूर हो जाती हैं। यह मंत्र इतने दिव्य हैं कि इनके जाप मात्र से ही भक्तों को सुख, समृद्धि, शांति, यश, धन तथा वैभव की प्राप्ति होती है। अनंत चतुर्दशी के लिए यहां देखें भगवान विष्णु के दिव्य मंत्र। 

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भगवान विष्णु का स्मरण मंत्र 

भगवान विष्णु का स्मरण करते समय भक्तों को नीचे दिए गए मंत्र का जाप करना चाहिए। 

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय

भगवान विष्णु के पंचरूप मंत्र 

ॐ अं वासुदेवाय नमः

ॐ आं संकर्षणाय नमः

ॐ अं प्रद्युम्नाय नमः

ॐ अः अनिरुद्धाय नमः

ॐ नारायणाय नमः

धन संपन्नता के लिए करें इस मंत्र का जाप 

ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेरिन्द्र दित्ससि। ॐ भूरिदा त्यसि श्रुतः पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।

शीघ्र फलदाई हैं विष्णु जी के यह मंत्र 

श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी। 
हे नाथ नारायण वासुदेवा।।

Anant Chaturdashi 2022 Puja Vidhi, Muhurat

ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। 
तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।

ॐ विष्णवे नमः 

त्वमेव माता, च पिता त्वमेव 
त्वमेव बंधु च सखा त्वमेव 
त्वमेव विद्या च द्रविणं त्वमेव
त्वमेव सर्वम मम देव देव  

यह है दिव्य स्वरुप विष्णु मंत्र 

शांताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभांगम
लक्ष्मीकांतं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं।
वंदे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्।

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