Shadi Muhurat in July 2022: जुलाई में इस तारीख तक है शादी का शुभ मुहूर्त, फिर 4 महीने बाद बजेगी शहनाई

Shadi Ka Shubh Muhurat 2022: अगर आप जुलाई के महीने में शादी, विवाह, मुंडन या कोई भी मांगलिक कार्य कराने की सोच रहे हैं तो आपके पास सिर्फ आठ दिनों का समय है। 8 दिनों के बाद 10 जुलाई से देवशयनी एकादशी लग जाएगी और उसके बाद 4 महीनों तक कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाएंगे।

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wedding muhurat  |  तस्वीर साभार: Instagram
मुख्य बातें
  • हिंदू पंचांग के अनुसार जुलाई के महीने में 8 जुलाई के बाद शादी विवाह पर विराम लगने वाला है
  • इसके बाद आपको कोई भी मांगलिक कार्य शादी, विवाह आदि के लिए नवंबर महीने तक का इंतजार करना होगा
  • हिंदू धर्म में जुलाई से नवंबर महीने तक 4 महीने तक कोई भी शादी विवाह नहीं होता है

Shadi Shubh Muhurat in July 2022: शादी विवाह संपन्न करने के लिए लोग शुभ मुहूर्त का पता करते हैं। ऐसे में अगर आप जुलाई में शादी करने का प्लान बना रहे हैं तो बता दें हिंदू पंचांग के अनुसार जुलाई के महीने में 8 जुलाई के बाद शादी विवाह पर विराम लगने वाला है। इसके बाद आपको कोई भी मांगलिक कार्य शादी, विवाह आदि के लिए नवंबर महीने तक का इंतजार करना होगा। हिंदू धर्म में जुलाई से नवंबर महीने तक 4 महीने तक कोई भी शादी विवाह नहीं होता है। 10 जुलाई से देवशयनी एकादशी है। इस महीने से भगवान विष्णु निद्रा अवस्था में 4 महीनों के लिए चले जाते हैं, इसलिए हिंदू धर्म में ये 4 महीने विवाह के योग्य नहीं बनते हैं। इसके बाद देवउठनी एकादशी पर शुभ मुहूर्त की शुरुआत होती है। अगर आप कोई भी शुभ कार्य करना चाहते हैं तो 9 जुलाई से पहले कर सकते हैं। उसके बाद आपको लंबे समय के लिए इंतजार करना होगा।

विवाह मुहूर्त की तारीख

जुलाई- 3, 5, 6, 8
नवंबर- 21, 24, 25, 27
दिसंबर- 2, 7, 8, 9, 14

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नवंबर, दिसंबर में 12 लग्न

ज्योतिषशास्त्रों के मुताबिक चार नवंबर को दवोत्थान एकादशी के बाद से मांगलिक कार्य की शुरुआत होगी। वहीं हिंदू पंचांग के अनुसार शादी विवाह का शुभ मुहूर्त 24 नवंबर से आरंभ होकर 16 दिसंबर तक चलेगा। इस दौरान कुल 12 लग्न हैं। अगले वर्ष 14 जनवरी 2023 के बाद वैवाहिक मुहूर्त आरंभ होगा।

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इसलिए होती है मांगलिक कार्य में मनाही

देवशयनी एकादशी 10 जुलाई 2022 से भगवान विष्णु शयन काल में चले जाएंगे। 4 नवंबर 2022 को देवउठनी एकादशी पर देव क्षीर निद्रा से जागेंगे। चतुर्मास के लगने के बाद से शादियां, सगाई, गृह प्रवेश, मुंडन, जनेऊ संस्कार और अन्य शुभ काम नहीं होते हैं। सूर्यदेव को प्रत्यक्ष देवता माना गया है। दक्षिणायन होने पर सूर्य देव दक्षिण की ओर झुकाव के साथ गति करते हैं।यही वजह है कि इस दौरान मांगलिक कार्य की मनाही होती है।

(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
 

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