Shani Dev: शनिदेव की आरती और भजन उनकी बुरे प्रकोप से भी बचाता है और जिन पर शनि का प्रकोप न भी हो उन्हें भी शनिदेव की आरती शनिवार को करनी ही चाहिए। आए आज शनिदेव की आरती के साथ उनके बारे में और उनकी पूजा से जुड़ी बातों को भी जान लें। शनिदेव की पूजो को लेकर पुरुष और महिलाओं के लिए अलग-अलग नियम कायदे बनाए गए हैं। शास्त्रों में पुरुषों को शुद्ध स्नान के बाद पूजा का अधिकार है लेकिन महिलाओं को शनि भगवान के लिए बने चतबूतरे पर जाने का अधिकार नहीं। अगर वह मंदिर में जा रही तो उन्हें स्पर्श नहीं कर सकती। अगर जातक की राशि में शनि आ रहे, साढ़ेसाती हो या अढैया तब तो शनि की पूजा जरूर करनी चाहिए।
इतना ही नहीं अगर आपको कोई कारखाना, लोहे से संबद्ध उद्योग, ट्रेवल, ट्रक, ट्रांसपोर्ट, तेल, पेट्रोलियम, मेडिकल, प्रेस, कोर्ट-कचहरी से संबंधित काम हो तो आपके लिए शनिदेव की पूजा जरूरी हो जाती है। वहीं अगर आपको लगता है कि अगर आपका पेशा वाणिज्य, कारोबार है और उसमें क्षति, घाटा, परेशानियां आ रही हों तो शनि की पूजा करना शुरू कर देना चाहिए। वहीं कैंसर, एड्स, कुष्ठरोग, किडनी, लकवा, साइटिका, हृदयरोग, मधुमेह, खाज-खुजली रोगों के लिए भी शनिदेव की पूजा बहुत कारगर है। आप श्री शनिदेव का पूजन-अभिषेक अवश्य कीजिए। तो आइए इन नियमों और पूजा की जानकारी को जानने के बाद शनिदेव की ये आरती करें।
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।
सूरज के पुत्र प्रभु छाया महतारी॥
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी॥
श्याम अंग वक्र-दृष्टि चतुर्भुजा धारी।
निलाम्बर धार नाथ गज की असवारी॥
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी॥
क्रीट मुकुट शीश सहज दिपत है लिलारी।
मुक्तन की माल गले शोभित बलिहारी॥
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी॥
मोदक और मिष्ठान चढ़े, चढ़ती पान सुपारी।
लोहा, तिल, तेल, उड़द महिषी है अति प्यारी॥
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी॥
देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी।
विश्वनाथ धरत ध्यान हम हैं शरण तुम्हारी॥
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी॥
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