Chandra Dev Aarti: सोमवार को जरूर करें चंद्र देव की आरती, धन-वैभव और मानसिक शांति सब होगा पास

आध्यात्म
Updated May 20, 2019 | 07:50 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

चंद्रमा के स्वामी भगवान शिव हैं और सोमवार का दिन भगवान शिव और चंद्रमा दोनों का होता है। कमजोर चंद्र मानिसक विकार, धन-प्रतिष्ठा की हानि देता है, इसलिए चंद्रदेव को प्रसन्न करने के लिए उनकी आरती जरूर करें।

Chandra Dev Aarti
Chandra Dev Aarti  |  तस्वीर साभार: Instagram

चंद्रदेव को प्रसन्न करने के लिए शिव जी को भी पूजना जरूरी हैं। चंद्र अगर कुंडली में नीच का हो तो जातक को बहुत से कष्ट उठाने पड़ते हैं। सबसे बड़ी समस्या मानसिक विकार की होती है और ये विकार कई अन्य परेशानियों का कारण भी बनता है। चंद्रमा अगर कमजोर हो तो इंसान बहुत ही भावुक प्रकृति का हो जाता है। धैर्यता खत्म हो जाती है और किसी भी काम से मन तुरंत विचलित होने लगता है। इतना ही नहीं मां से दूरी बनती है, नेत्र रोग, जीवन साथी से तनाव, संतान न होना, मन में भय, आदि जैसे कई विकार उत्पन्न होने लगते हैं।

इन समस्याओं से बचने के लिए जरूरी है कि जातक सोमवार का व्रत करें। पूर्णिमा का व्रत जरूर करना चाहिए। चंद्रमा को खीर का भोग लगाएं। साथ ही शंकर जी को दूध से स्नान कराएं और सोमवार के दिन सफेद वस्तुओं का दान जरूर करें। सोमवार को सफेद वस्त्र धारण करें। चांदी का प्रयोग ऐसे लोगों को जरूर करना चाहिए जिनका चंद्र कमजोर हो। चांदी की अंगूठी में सफेद मोती धारण करना भी उत्तम होगा। इसे सोमवार के दिन कनिष्ठ यानी कानी उंगली में पहनना चाहिए। इससे कुपित चंद्र शांत होते हैं। एक उपाय जो सबसे सटीक है वह यह कि चांद को टकटकी लगा कर जरूर कुछ देर देखें। इन अचूक उपाय के साथ रात में चंद्र देव की आरती भी जरूर करें। आइए इस सोमवार को चंद्रदेव की आरती इस तरह से करें।

श्री चन्द्र जी की आरती इस प्रकार है:

ॐ जय श्रीचन्द्र यती,
स्वामी जय श्रीचन्द्र यती |
अजर अमर अविनाशी योगी योगपती |

सन्तन पथ प्रदर्शक भगतन सुखदाता,
अगम निगम प्रचारक कलिमहि भवत्राता |

कर्ण कुण्डल कर तुम्बा गलसेली साजे,
कंबलिया के साहिब चहुँ दीश के राजे |

अचल अडोल समाधि प्झासा सोहे
बालयती बनवासी देखत जग मोहे |

कटि कौपीन तन भस्मी जटा मुकुट धारी,
धर्म हत जग प्रगटे शंकर त्रिपुरारी |

बाल छबी अति सुन्दर निशदिन मुस्काते,
भ विशाल सुलोचन निजानन्दराते |

उदासीन आचार्य करूणा कर देवा,
प्रेम भगती वर दीजे और सन्तन सेवा |

मायातीत गुसाई तपसी निष्कामी,
पुरुशोत्तम परमात्म तुम हमारे स्वामी |

ऋषि मुनि ब्रह्मा ज्ञानी गुण गावत तेरे,
तुम शरणगत रक्षक तुम ठाकुर मेरे |

जो जन तुमको ध्यावे पावे परमगती,

श्रद्धानन्द को दीजे भगती बिमल मती |
अजर अमर अविनाशी योगी योगपती |

स्वामी जय श्रीचन्द्र यती

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