Surya Dev Aarti : रविवार को सुनें सूर्य देव की यह स्‍पेशल आरती: ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान

आध्यात्म
Updated Mar 14, 2019 | 17:58 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

Surya Dev Aarti: हिन्दू धर्म के अनुसार भगवान सूर्य देव एक ऐसे देवता हैं जो साक्षात रूप से दर्शन देते हैं। इस दिन सूर्य देव की यह आरती जरूर सुनें... 

 Lord Surya Dev Aarti lyrics bhajan videos
Lord Surya Dev Aarti lyrics bhajan videos   |  तस्वीर साभार: Instagram

Lord surya bhagwaan popular bhajan: रविवार सप्ताह का प्रथम दिन माना जाता है। इस दिन भगवान सूर्य की पूजा होती है। हिन्दू धर्म के अनुसार भगवान सूर्य देव एक ऐसे देवता हैं जो साक्षात रूप से दर्शन देते हैं। भगवान सूर्य देव को अर्घ्य देने से ना सिर्फ मन को शांति प्राप्‍त होती है बल्‍कि जीवन में सफलता भी प्राप्‍त होती है। 

जो लोग रविवार को व्रत रखते हैं उनके लिये यह व्रत काफी अच्‍छा माना जाता है। पुराने समय से ही सूर्य की उपासना होती आ रही है। हर रविवार व्रत कथा पढ़ने और सुनने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। यही नहीं सूर्य देव की आराती सुनने से भी सुख-समृद्धि और धन-संपत्ति की प्राप्‍ति होती है। यदि आप भी अपने जीवन में खूब तरक्‍की पाना चाहते हैं तो सूर्य देव की यह आरती सुनना ना भूलें। 

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सूर्य देव की आरती : ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।

ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी। तुम चार भुजाधारी।।
अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे। तुम हो देव महान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते।।
फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते।।
गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते। आदित्य हृदय जपते।।
स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

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तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार। महिमा तब अपरम्पार।।
प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते। बल, बुद्धि और ज्ञान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं। सब जीवों के प्राण तुम्हीं।।
वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्वशक्तिमान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल। तुम भुवनों के प्रतिपाल।।
ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशुमान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।स्वरूपा।।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।

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