नवरात्रि की नौ दिन पूजा करने के साथ ही पहले दिन ही कलश स्थापना और अखंड ज्योति जलाई जाती है। नौ दिन का व्रत भी आज से ही शुरू होगा। जो नौ दिन का व्रत नहीं रख सकते वह पहली और आखिर नवरात्रि का व्रत रखते हैं। नवरात्रि में कलश स्थापना और अखंड ज्योति जलाने के नियम हैं और पूजा की विधि भी बहुत महत्वपूर्ण होती है। नवरात्रि के नौ दिन देवी दुर्गा के विभिन्न स्वरूप की पूजा की जाती है और कन्या पूजन का भी विधान है। यदि आपको पूजा की पूरी विधि की सही जानकारी नहीं तो जानें कि कलश स्थापना कैसे की जाए और पूजा की पूरी विधि क्या है और किन बीज मंत्रों का जाप नवरात्रि में जरूर करना चाहिए।
इस बार नौका पर सवार होकर आएंगी देवी दुर्गा
आज मां दुर्गा नौका पर सवार हो कर आएंगी। नौका पर सवार देवी दुर्गा सर्वसिद्धी की प्राप्ति कराती हैं। इस बार नवरात्रि पूरे नौ दिन की होगी। इस बार तिथि का ह्रार्स नहीं होगा इसलिए नौ दिन की नवरात्रि होगी। नवरात्रि जब नौ दिन की होती है तो ये शुभता और खुशहाली का प्रतीक मानी जाती है।
ऐसे करें कलश की स्थापना, जानें क्या है मुहूर्त
चैत्र नवरात्रि के लिए कलश स्थापना के लिए बुधवार की सुबह कलश स्थापना के लिए 58 मिनट का शुभ समय होगा। सुबह 06 बजकर 19 मिनट से सुबह 07 बजकर 17 मिनट के मध्य कलश स्थापना की जा सकेगी।
नवरात्रि पूजा विधि और कलश स्थापना
नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना करनी होती है। सबसे पहले मिट्टी से वेदी बना लें और उसपर कलश स्थापित कर दें। कलश में जल भर कर उसपर जौ और गेहूं रखें। इसके बाद कलश पर लाल कपड़ा रखें और उसपर आम के हरे पत्ते, दूर्वा और नारियल को स्थापित करें। फिर नारियल पर मौली बांध दें। इसके बाद वहां गणेश जी, नौ ग्रह, आदि को स्थापित करें तथा कलश पर मां दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। इसके पश्चात माता रानी का षोडशोपचार पूजन करें। इसी दिन आपको अखंड ज्योति भी जलानी होगी, जो पूरे नौ दिन तक जलेगी। साथ ही पूजन सामग्री में फल, मुद्रा और माता की चुनरी जरूर होनी चाहिए। कलश स्थापना के बाद गणेश पूजन करें। इसके बाद आप श्रीदुर्गासप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ करें।
देवी का करें श्रृंगार
देवी मां को सबसे पहले चुनरी चढ़ाएं। इसके बाद माता को श्रृंगार का सामान चढ़ाएं। कुमकुम, बिंदी, चूड़ियां आदि चढ़ा कर माता का श्रृंगार चढ़ाएं। इसके बाद माता को सिंदूर लगाकर फल और पुष्प अर्पित करें। इसके बाद देवी का चरण स्पर्श कर व्रत और पूजा को सफल बनाने की प्रार्थना करें।
नौ देवियों के बीज मंत्र पहले दिन से नवमी तक जरूर जपें
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