चाणक्य नीति : चाणक्य के अनुसार, इन कसौटियों पर खरे उतरने वाले ही होते हैं निष्ठावान

Chanakya Niti : आचार्य चाणक्य ने तीन कसौटियों पर खरा उतरने वाले मनुष्य को विश्वसनीय और मित्रता के काबिल माना है। इस आधार पर आप भी लोगों की परख कर सकते हैं।

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मुख्य बातें
  • जो बात खुद कोई न बताएं उस पर विश्वास नहीं करना चाहिए
  • जिस बात में किसी की अच्छाई न हो ऐसी बातों से दूर रहें
  • अनुपयोगी बातों को बताने वाले आपके मित्र नहीं हो सकते

आचार्य चाणक्य ने अपने जीवनकाल में बहुत से षड्यंत्र को अपनी कूटनीतियों के बल पर  नष्ट कर दिया। अपने अनुभव और ज्ञान के आधार पर चाणक्य ने चंद्रगुप्त मौर्य को नंद साम्राज्य का विनाश करने लायक बनाया। वह नंद साम्राज्य की गलतियों, कमियों और उसके दुश्मनों को पहचानते थे और इसका फायदा उन्होंने उठाया। यही नहीं स्वयं भी कई बार दुश्मनों के चाल से अपनी नीतियों और ज्ञान के बल पर ही बचे। इन्हीं अनुभवों के आधार पर चाणक्य ने मनुष्य की पहचान करने के तरीके भी बताए हैं। उनका मानना था कि तीन कसौटियों पर यदि मनुष्य खरा उतर जाए तो वह विश्वसनीय और निष्ठावान होता है।

आचार्य चाणक्य के साथ हुए इस वाक्ये के आधार पर आप तय कर सकते हैं कि जो मनुष्य विश्वसनीय व निष्ठावान होता है, उसमें निम्न गुण पाए जाते हैं। एक बार उनके पाए एक व्यक्ति आया और कहा कि वह उनके मित्र के बारे में कुछ जानकारी देना चाहता है। तब चाणक्य ने उनसे कहा कि मैं आपकी बात तभी सुनूंगा जब त्रिगुण परीक्षण को पास कर लेंगे। यह सुन कर वह व्यक्ति राजी हो गया।

Chanakya Niti in hindi: Logon ya doston ko parakhne ke teen tareeke 

चाणक्य ने उस व्यक्ति से कहा, आप मेरे मित्र के बारे में या उसकी बात बताने से पहले, मुझे यह बताएं कि जो कुछ आप मुझे बताने जा रहे हैं, वह आपसे मेरे मित्र ने कहा है? तब उस व्यक्ति ने कहा नहीं, जो बात मैं आपको बताने जा रहा हूं वह किसी और ने मुझे बताया है। तब चाणक्य ने कहा, यानी आपको उस बात की सच्चाई का पता नहीं है।

सीख : त्रिगुण परीक्षण का पहला प्रश्न यही था। यदि कोई आपसे स्वयं कोई बात कहें,  तभी उस पर विश्वास करें। किसी दूसरे की बातों को सुनकर कभी कोई निर्णय न लें।

आचार्य चाणक्य ने अपने मित्र से पूछा कि अच्छा जो बात आप मुझे बताने का प्रयास कर रहे हैं, उसमें मेरे मित्र की कोई अच्छाई है? तब उस व्यक्ति ने कहा, नहीं। इसमें उनकी अच्छाई नहीं है। तब चाणक्य ने कहा, यानी उस बात की सत्यता का कोई प्रमाण नहीं है और उसमें किसी की अच्छाई की बात नहीं है।

सीख: इंसान किसी की बुराई आसानी से कर लेता है, लेकिन अच्छाई के बारे में बात नहीं करता। यदि कोई किसी की अच्छाई बताए तभी उसकी बातों को सुनना चाहिए। बुराई करने वाला कभी सत्यता का साथ नहीं देते और वह विश्वसनीय नहीं होते हैं। 

तीसरे त्रिगुण परीक्षण के तहत चाणक्य ने उस व्यक्ति से पूछा कि जो बात आप मुझे बताने जा रहे वह क्या उपयोगी है। तब उस व्यक्ति ने कहा कि नहीं वह उपयोगी तो नहीं हैं। यह सुनकर चाणक्य ने कहा, यानी आप जो मुझे बताने वाले हैं, वह न सत्य है, न अच्छा न ही उपयोगी है, फिर आप मुझे बताना क्यों चाहते हैं?'

सीख : ऐसी बातों को जो उपयोगी न हो या निर्थक हो उससे सुनने में अपना समय खराब नहीं करना चाहिए। अनुपयोगी बातें दिमाग में जहर घोलती हैं। इसलिए इनसे बचकर रहना चाहिए।

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