Chanting Mantras During Worship : हिंदू धर्म में हर देवी देवता की पूजा की विधि अलग-अलग बताई गई है। जैसे हर देवी देवता का अपना अलग दिन होता है। वैसे ही हर देवी देवता की पूजा विधि भी अलग होती है। देवी देवता को प्रसन्न करने के लिए व्यक्ति मंत्रों का जाप करता है। हिंदू धर्म में मंत्रों का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि देवी देवता की कृपा पाने के लिए सबसे आसान तरीका मंत्रों का जाप करना है। मंत्रों में इतनी शक्ति होती है कि उसके उच्चारण से दुख, दरिद्र सब दूर हो जाता है और वातावरण भी सकारात्मक हो जाता है। अलग-अलग देवी-देवता के लिए अलग-अलग मंत्र होते हैं और इन मंत्रों का जाप करते समय अलग-अलग तरह की मालाएं इस्तेमाल की जाती हैं। इन मालाओं का विशेष प्रभाव पड़ता है। आइए जानते हैं मंत्र जाप करते समय किस तरह की माला का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
क्यों किया जाता है माला का इस्तेमाल ( Matra Jaap)
देवी देवता के मंत्रों का जाप करने के लिए कई तरह की मालाओं का इस्तेमाल किया जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मंत्र जाप के समय माला का इसलिए इस्तेमाल किया जाता है ताकि मंत्र जाप की संख्या में कोई गलती न हो। माला में 108 दाने होते हैं और इन 108 दानों को गिन कर ही मंत्रों का जाप किया जाता है।
रुद्राक्ष की माला
रुद्राक्ष की माला से भगवान शिव के मंत्रों का जाप करना शुभ माना जाता है। महामृत्युंजय का जाप सहित शिव के सभी मंत्रों का जाप रुद्राक्ष की माला से करना चाहिए। इससे कई लाभ मिलता है। रुद्राक्ष के 108 दाने होने चाहिए और मंत्रों का जाप 108 बार किया जाना चाहिए।
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स्फटिक व कमलगट्टे की माला
मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करने के लिए स्फटिक की माला व कमलगट्टे की माला का इस्तेमाल करना शुभ माना जाता है। इन मालाओं से मां दुर्गा, मां सरस्वती के मंत्रों का भी जाप किया जाता है।
तुलसी की माला
इसके अलावा भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप तुलसी की माला से करना चाहिए। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु को तुलसी अति प्रिय हैं और ऐसे में तुलसी की माला से भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करने से विशेष लाभ की प्राप्ति होती है।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
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