Chhath Puja 2020: जानिए छठ पूजा से जुड़ी सभी जानकारियां, पूजा विधि से लेकर व्रत के महत्व तक सब कुछ

Chhath Puja 2020: कार्तिक माह के छठे दिन मनाया जाने वाला छठ का त्योहार 4 दिनों तक चलता है, इसलिए इस बार यह त्योहार 18 नवंबर से शुरू होगा और 21 नवंबर तक चलेगा।

Chhath Puja 2020
Chhath Puja 2020 
मुख्य बातें
  • 18 नवंबर से 21 नवंबर तक मनाया जाएगा छठ महापर्व।
  • कार्तिक माह के छठे दिन मनाया जाता है भव्‍य पर्व।
  • छठ 4 दिनों तक मनाया जाता है, पहले दिन नहाय खाय होता है।

Chhath Puja 2020: छठ, जिसे छठ पूजा, छठी और सूर्य षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है। यह सूर्य देव को समर्पित एक पौराणिक त्योहार है जिसे मुख्यतः उत्तर भारत के के लोग सदियों से मनाते आ रहे हैं। इस साल 20 नवंबर को डाला छठ का त्योहार पड़ रहा है लेकिन यह त्योहार 4 दिनों तक मनाया जाता है इसलिए इसकी शुरुआत 18 नवंबर से ही हो जाएगी और 21 नवंबर तक चलेगी।

ऐसा माना जाता है कि छठ पूजा का त्योहार महाभारत के नायक कर्ण द्वारा शुरू किया गया था जो कुंती और सूर्य देव के पुत्र थे। क्योंकि वह सूर्य देव के संतान थे इसलिए उन्हीं की पूजा किया करते थे। हालांकि, छठ की पूजा छठी मइया के लिए भी मनाया जाता है जो संतानों की रक्षा करती है। छठी मइया को देवी उषा के नाम से भी जाना जाता है जो सूर्य देव की दिव्य पत्नी हैं। चलिए जानते हैं छठ पूजा से जुड़े महत्वपूर्ण अनुष्ठानों के बारे में- 

नहाय खाय

आमतौर पर छठ 4 दिनों तक मनाया जाता है, पहले दिन को नहाय खाय के नाम से जाना जाता है। इस दिन भक्त नदी में डुबकी लगाते हैं, अपने घर के चारों ओर साफ-सफाई करते हैं और पूरा दिन उपवास रखते हैं।

लोहंडा और खरना

दूसरे दिन भक्त फिर से पूरे दिन के लिए उपवास करते हैं और शाम को सूर्यास्त के समय और रात में चंद्रमा को पूरी खीर चढ़ा कर ही अपना उपवास खोलते हैं।

संध्या अर्घ्य

सूर्य देव को अर्पित किया जाने वाला भोग तीसरे दिन तैयार किया जाता है। सूर्यास्त के दौरान व्रत रखने वाले भक्तों को सूर्य देव की पूजा के लिए कई तैयारियां करनी होती है तथा उन सभी चीजों को चढ़ाने के लिए उन्हें नदी के तट पर जाना होता है।

उषा अर्घ्य

छठ पूजा के अंतिम दिन भक्त परिवार के सभी सदस्यों के साथ सूर्यदेव को अर्घ्य देकर प्रसाद चढ़ाते हैं। और इसी प्रसाद से वह अपना व्रत खोलते हैं।

पूजा के नियम

अधिकतर व्रत का पालन परिवार की महिलाएं करती है। हालांकि, पुरुष भी इस व्रत का पालन कर सकते हैं। परिवार की खुशहाली और बच्चों की सुख समृद्धि के लिए माताएं उपवास रखती हैं और छठ का महापर्व मनाती हैं। इसके अलावा जो भी परिवार एक बार छठ पूजा करना शुरू कर देता है तो उन्हें हर साल बिना रुके यह व्रत करना पड़ता है।

भोजन और प्रसाद

छठ पूजा के लिए ठकुवा नामक एक विशेष मिठाई तैयार की जाती है। जो कई प्रकार के फलों के साथ भगवान सूर्य को अर्पित की जाती है। साथ में खीर, पूड़ी, मालपुआ आदि स्वादिष्ट पकवान भी तैयार किए जाते हैं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि त्योहार के दौरान बनाए गए किसी भी भोजन में प्याज और लहसुन का इस्तेमाल न किया गया हो।

व्रत का महत्व

छठ पूजा बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में बहुत महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है। इस त्योहार के दौरान लोग अपने सबसे अच्छे कपड़े पहनते हैं और सूर्य देव की पूजा करते हैं। इस त्योहार के दौरान पूरा परिवार एक साथ इकट्ठा होता है और एक साथ ही सूर्य देव की प्रार्थना करता है। इसलिए धार्मिक और सामाजिक दोनों दृष्टि से इस त्योहार का हमारे समाज में महत्वपूर्ण योगदान है।

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