Ekadashi Niyam: एकादशी के दिन चावल खाने से इस जीव की योनि में जन्म लेता है मनुष्य

Ekadashi Vrat Niyam: एकादशी व्रत में कई नियमों का पालन करना पड़ता है। लेकिन खासकर इस दिन चावल खाना वर्जित माना जाता है। मान्यता है कि एकादशी के दिन चावल खाने वाला व्यक्ति रेंगने वाले जीव की योनि में जन्म लेता है।

Ekadashi Vrat 2022
एकादशी के दिन चावल खाने से रेंगने वाले जीव की योनि में जन्म लेता है मनुष्य 
मुख्य बातें
  • एकादशी के दिन वर्जित होता है चावल का सेवन
  • एकादशी का व्रत भगवान विष्णु की पूजा के लिए होता है समर्पित
  • एकादशी के दिन चावल खाने से रेंगने वाले जीव की योनि में जन्म लेता है व्यक्ति

Ekadashi Vrat 2022 Niyam: हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में एकादशी तिथि पड़ती है। इस तरह से पूरे साल में कुल 24 और अधिकमास होने पर 26 एकादशी तिथि पड़ती है। सभी एकादशी तिथि को अलग-अलग नामों से जाना जाता है और इनका विशेष महत्व भी होता है। मंगलवार 06 सितंबर 2022 को जलझूलनी एकादशी का व्रत रखा जाएगा। इसे पद्मा एकादशी, परिवर्तनी एकादशी और डोल ग्यारस एकादशी जैसे नामों से भी जाना जाता है। यह एकादशी इसलिए भी खास मानी जाती है क्योंकि इसमें भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा की जाती है। शास्त्रों में एकादशी व्रत के कई नियमों के बारे में बताया गया है जोकि एकादशी से एक दिन पूर्व यानी दशमी तिथि से ही शुरू हो जाते हैं। जानते हैं एकादशी तिथि से जुड़े नियमों के बारे में।

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एकादशी व्रत से जुड़े नियम

  • एकादशी के दिन चावल या चावल से बनी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • एकादशी के दिन घर पर मांस-मदिरा का सेवन न करें और शाकाहार भोजन ही बनाएं। लेकिन इस दिन घर पर बैंगन भी नहीं बनाना चाहिए।
  • एकादशी के दिन पति-पत्नी को ब्रह्माचार्य के नियमों का पालन करना चाहिए।
  • एकादशी का दिन भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित होता है। इसलिए इस दिन अहंकार नहीं दिखाना चाहिए। साथ ही किसी से झूठ नहीं बोलना चाहिए।

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एकादशी के दिन चावल खाने ये इस जीव की योनि में जन्म लेता है व्यक्ति

एकादशी के दिन चावल क्यों नहीं खाया जाता है इसे लेकर पौराणिक मान्यता इस प्रकार है। कहा जाता है कि एकादशी के दिन जो व्यक्ति चावल का सेवन करता है वह रेंगने वाले जीव की योनि में जन्म लेता है। लेकिन यदि द्वादशी के दिन चावल खाया जाए तो वह इस योनि से मुक्ति पा सकता है। कथा के अनुसार माता शक्ति के क्रोध से बचने के लिए मर्हषि मेधा ने अपने शरीर का त्याग कर दिया था। उनका अंश पृथ्वी में समा गया। इसके बाद महर्षि मेधा चावल और जौ के रूप में उत्पन्न हुए। इसलिए चावल और जौ को जीव के समान माना गया है। कहा जाता है कि महर्षि मेधा का अंश जिस दिन पृथ्वी में समाया था उस दिन एकादशी तिथि थी। इसलिए एकादशी के दिन भोजन के रूप में चावल ग्रहण करना वर्जित होता है।

(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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