Gautam Buddha Quotes: बौद्ध धर्म को दुनिया का चौथा सबसे बड़ा धर्म माना जाता है। बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध थे। भारत सहित कई देशों में बौद्ध धर्म के लोग रहते हैं। गौतम बुद्ध का असली नाम सिद्धार्थ गौतम था। गौतम बुद्ध के अनमोल विचार व्यक्ति को जीवन में सफल और आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं। उनके विचार चारों तरफ प्रकाश फैलाने का काम करते हैं। गौतम बुद्ध के ऐसे कई विचार है जो व्यक्ति को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं और उनकी जिंदगी में बदलाव लाते हैं। आइए जानते हैं गौतम बुद्ध के उपदेशों के बारे में जिससे आपको अपने जीवन में जरूर फॉलो करना चाहिए।
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गौतम बुद्ध के 10 अनमोल विचार
- एक जलते हुए दीपक से हजारों दीपक रोशन किए जा सकते है, फिर भी उस दीपक की रोशनी कम नहीं होती हैं। उसी तरह खुशियां भी बांटने से बढ़ती है, कम नहीं होती।
- इंसान के भीतर ही शांति का वास होता है, इसे बाहर ना खोजे।
- शरीर को स्वस्थ रखना हमारा कर्त्तव्य है, नहीं तो हम अपने दिमाग को स्वस्थ और मजबूत नहीं रख पाएंगे
- इस पूरी दुनिया में इतना अन्धकार नहीं है कि वो एक छोटे से दीपक के प्रकाश को मिटा सके।
- नफरत से नफरत कभी खत्म नहीं हो सकती। नफरत को केवल प्यार द्वारा ही समाप्त किया जा सकता है। यह एक प्राकृतिक सत्य है।
- अगर आप वाकई में अपने आप से प्यार करते है, तो आप कभी भी दूसरों को दुःख नहीं पहुंचा सकते।
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- खुशियों का कोई अलग रास्ता नहीं, खुश रहना ही रास्ता है।
- क्रोधित रहना, जलते कोयले को किसी दूसरे पर फेंकने की इच्छा से पकड़े रहने के समान है। यह सबसे पहले खुद को ही जलाता है।
- हम जो कुछ भी हैं वह हमने आज तक क्या सोचा इस बात का परिणाम है। यदि कोई व्यक्ति बुरी सोच के साथ बोलता या काम करता है, तो उसे कष्ट ही मिलता है। यदि कोई व्यक्ति शुद्ध विचारों के साथ बोलता या काम करता है, तो उसकी परछाई की तरह खुशी उसका साथ कभी नहीं छोड़ती।
- किसी जानवर की अपेक्षा एक कपटी और दुष्ट मित्र से ज्यादा डरना चाहिए, जानवर तो बस आपके शरीर को नुक्सान पहुंचा सकता है पर बुरा मित्र आपकी बुद्धि को नुकसान पहुंचा सकता है।
लोगों की सेवा में लगा दिया पूरा जीवन
गौतम बुद्ध ने सन्यासी बन कर अपने आप को आत्मा और परमात्मा के निरर्थक विवादों में फंसाने की अपेक्षा समाज कल्याण की ओर अधिक ध्यान दिया। उन्होंने अपना पूरा जीवन लोगों की सेवा में लगा दिया था। उन्होंने वृक्ष के नीचे रहकर साधना की और धर्म के स्वरूप का चिंतन करते रहे। इसके बाद वे धर्म का उपदेश करने निकल पड़े।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
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