Mahabharat Facts: गांधारी के श्राप से हुआ था श्री कृष्ण के वंश का नाश, समुद्र में डूब गई थी द्वारका

Mahabharat Unknown Facts: महाभारत में श्राप के कारण कई अहम घटनाएं हुई। इनमें से एक घटना थी भगवान श्री कृष्ण के वंश का नाश। जानिए गांधारी के श्राप के बारे में, जिसके कारण यदुवंशियों का हुआ सर्वनाश...

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मुख्य बातें
  • महाभारत में श्राप का काफी महत्व है।
  • श्राप के कारण ही कौरव और पांडवों के बीच युद्ध् हुआ।
  • कौरवों की मां गांधारी के श्राप के कारण ही श्री कृष्ण के वंश का नाश हुआ।

नई दिल्ली. दूरदर्शन  पर दोबारा टेलिकास्ट हो रहे पॉपुलर टीवी सीरियल महाभारत में कौरव और पांडवों के बीच चल रहा युद्ध अपने अंतिम पड़ाव पर है। कर्ण की मौत के बाद दुर्योवधन अकेला पड़ गया है। वहीं, दुर्योधन की मां गांधारी ने भगवान श्री कृष्ण को श्रॉप दे दिया है। 

महाभारत के अनुसार महाभारत के युद्ध के बाद पांडव द्रौपदी और श्री कृष्ण समेत हस्तिनापुर वापस लौटे थे। सगे संबंधियों की मौत से सबका मन काफी दुखी था। खासकर गांधारी अपने 100 पुत्रों की मृत्यु से वह प्रतिशोध से भर गई थीं।

श्री कृष्ण जब गांधारी  के पास पहुंचे तो उन्होंने श्राप देते हुए कहा- 'अगर मैंने भगवान की सच्चे मन से पूजा की है, इसके अलावा बिना किसी स्वार्थ से अपने पति की सेवा की है। ऐसे में जैसे मेरे कुल का नाश हुआ, वैसे ही तुम्हारा वंश का भी नाश हो जाएगा। 

क्या हुआ श्राप का असर 
गांधारी ने कहा- 'द्वारका नगरी तुम्हारी आंखों के सामने समुद्र में डूब जाएगी। भाई-भाई के खून का प्यासा हो जाएगा। यदुवंशियों का पूरा नाश हो जाएगा।' गांधारी के श्राप को भगवान श्री कृष्ण ने खुशी-खुशी स्वीकार कर लिया था। 

गांधारी के श्राप को स्वीकार करते हुए भगवान श्री कृष्ण ने कहा- ‘मैं आपके श्राप को ग्रहण करता हूं। मुझे इसी की प्रतिक्षा थी।' 35 साल बाद गांधारी का श्राप सच हो गया। द्वारका में लोग शराब का सेवन करने लगे थे, जो पूरी तरह से प्रतिबंध थी।

समुद्र में डूब गई द्वारका
द्वारका के निवासी धीरे-धीरे विलासिता से भरा जीवन जीने लगे थे। यादव ने अपने अच्छे आचरण, नैतिकता, अनुशासन और विनम्रता को त्याग दिया। वह आपस में झगड़ने लगे थे। हर कोई एक दूसरे के खून का प्यासा हो गया और यदुवंशियों का नाश हो गया। वहीं, द्वारका भी समुद्र में डूब गई। 

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार द्वारका के वंश का कारण भगवान श्री कृष्ण के पुत्र सांब थे। दरअसल जब रुक्मिणी गर्भवती हुईं तब भगवान कृष्ण ने महादेव से उन्हीं की तरह पुत्र उत्पन्न होने का वरदान मांगा। महादेव विनाश के देवता हैं, श्रीकृष्ण चाहते थे कि उनका पुत्र भी विनाश का कारण बने। तब सांब का जन्म हुआ।

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