Ganeshotsav 2021: साल 2021 में कब से शुरू हो रहा है गणेशोत्सव, जानें सदियों पुराना इस पर्व का इतिहास

Ganesh Mahotsav 2021 : इस बार गणेशोत्सव की शुरुआत 10 सितंबर 2021 से हो रही है। 10 दिन तक चलने वाले इस पर्व को भारत के दक्षिणी और पश्चिमी राज्यों में बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है।

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मुख्य बातें
  • गणेशोत्सव (Ganesh Mahotsav 2021 ) का पहला दिन भगवान गणेश के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है।
  • गणेशोत्सव ( Ganesh Mahotsav 2021) का अंतिम दिन अनंत चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है, महाराष्ट्र और गुजरात में इस दिन गणपति बप्पा की मूर्ती को किया जाता है विसर्जित।
  • 1630-1680 में हुई थी गणेश चतुर्थी के पावन पर्व की शुरुआत।

Ganeshotsav 2021 Date : सनातन हिंदु धर्म में गणेशोत्सव (Ganeshotsav 2021) का पावन पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाता है, इस पर्व की शुरुआत सर्वप्रथम महाराष्ट्र से हुई। हिंदु पंचांग के अनुसार गणेश महोत्सव भाद्रपद मास की चतुर्थी तिथि से चतुर्दशी तक चलता है। इसके बाद ग्यारहवें दिन यानी अनंत चतुर्दशी पर भगवान गणेश की मूर्ती का विसर्जन किया जाता है। महाराष्ट्र और गुजरात में इस दिन को गणेश विसर्जन के रूप में मनाया जाता है।

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 इस बार गणेश महोत्सव की शुरुआत 10 सितंबर 2021 से हो रही है। गणेशोत्सव का पहला दिन भगवान गणेश के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन विघ्नहर्ता भगवान गणेश का जन्म हुआ था। इसे विनायक चतुर्थी या गणेश चौथ के नाम से भी जाना जाता है। भारत के दक्षिणी और पश्चिमी राज्यों में इस पर्व पर एक अलग ही धूम देखने को मिलती है। इस दिन लोग सार्वजनिक पंडालों में विघ्नहर्ता भगवान गणेश जी की मूर्ती स्थापित करते हैं और 10 दिनों तक निरंतर गणपति बप्पा की पूजा अर्चना करते हैं।

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गणेशोत्सव का अंतिम दिन अनंत चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है। महाराष्ट्र और गुजरात में इस दिन भक्त विधि विधान से भगवान गणेश की मूर्ती को समुद्र, नदी या झील में विसर्जित करते हैं। मान्यता है कि अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान गणेश को जल में विसर्जित कर दिया जाता है क्योंकि वो जल के अधिपति हैं। हिंदु पंचांग के अनुसार अनंत चतुर्दशी 19 सितंबर 2021 को है।

गणेश चतुर्थी का इतिहास, Ganesh Utsav history in hindi 

इतिहासकारों के मुताबिक गणेश चतुर्थी के पावन पर्व की शुरुआत 1630-1680 के दौरान हुई। उस समय यह पर्व सामाजिक समारोह के रूप में मनाया जाता था। शिवाजी के समय भगवान गणेश जी की पूजा उनके कुलदेवता के रूप में की जाती थी। लेकिन पेशवाओं के अंत के बाद यह एक पारिवारिक उत्सव बन गया। इसके बाद इस त्योहार की शुरुआत एक बार फिर 1893 में बाल गंगाधर तिलक द्वारा किया गया। सामान्यत: यह ब्राम्हणों और गैर ब्राम्हणों के बीच अंतर को खत्म करने और लोगों के बीच एकता लाने के लिए किया गया था।

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